पुलिस महानिदेशक (एसएसपी) शालोक कुमार के नेतृत्व में गुरुवार सुबह 5 बजे शुरू हुई इस अभियान में 4 आईपीएस, 4 सीओ, 26 इंस्पेक्टर और कुल 400 पुलिसकर्मियों ने पगडंडियों से गुजरते हुए इन गांवों को घेर लिया। देवसेरस गांव को ‘मिनी जामताड़ा’ तक कहा जा रहा है, जहां 70 फीसदी आबादी ठगी से जुड़ी बताई जा रही है। छापेमारी के दौरान नाबालिग युवाओं समेत कई परिवारों के सदस्य पकड़े गए। पुलिस ने 37 ठगों को जेल भेज दिया है, जबकि बाकी पूछताछ में हैं।
इस नेटवर्क का खुलासा तब हुआ जब एक बड़े नेता के खाते से करोड़ों रुपये गायब होने की शिकायत मिली। ठग फोन कॉल्स, फर्जी ऐप्स और वेबसाइट्स के जरिए लोगों को लुभाते थे—कभी निवेश के नाम पर, तो कभी पुरस्कार के बहाने। एक रिपोर्ट के अनुसार, ये गांव कभी पारंपरिक ठगी जैसे ‘पीतल को सोना’ बताकर बेचने के लिए बदनाम थे, लेकिन दो दशकों में साइबर दुनिया में कूद पड़े। अब यहां ठगी के लिए विशेष सॉफ्टवेयर और ट्रेनिंग सेंटर चलते हैं।
ग्राम प्रधान की गिरफ्तारी ने मामले को और सनसनीखेज बना दिया। स्थानीय निवासी बताते हैं कि गांवों में ठगी से कमाए पैसे से लग्जरी कारें और बड़े घर बन रहे थे, लेकिन अब डर का माहौल है। एसएसपी शालोक कुमार ने कहा, “यह अभियान साइबर अपराध के खिलाफ निरंतर चलेगा। हम इन गांवों को ठगी मुक्त बनाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएंगे।” पुलिस ने 120 से अधिक फरार ठगों की तलाश तेज कर दी है।
यह कार्रवाई न केवल मथुरा बल्कि पूरे यूपी के लिए एक संदेश है कि साइबर ठगी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस होगी। पीड़ितों से अपील है कि ऐसी धोखाधड़ी की शिकायत तुरंत साइबर सेल में दर्ज कराएं।

