देश की मस्जिदें खतरे में आ गईं, लोकसभा में बोले ओवेसी

संसद में संविधान को लेकर हो रही चर्चा के दौरान एआईएमआईएम के प्रमुख एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश में मस्जिदें खतरे में आ गईं हैं। अब वक्फ बोर्ड को छीनने की कोशिश की जा रही है। मुस्लिमों को पूरी तरह कमजोर किया जा रहा है। उनको चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है। मुसलमान चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लेकर डिलिमिटेशन को लागू नहीं किया जा रहा है। ओवैसी ने कहा कि उर्दू को खत्म किया जा रहा है। मुस्लिम संस्कृति को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान सच्चा है। संविधान के आर्टिकल 26 धार्मिक संप्रदाय को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्था स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार देता है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि वक्फ का संविधान से कोई लेना-देना नहीं है। प्रधानमंत्री को कौन पढ़ा रहा है? उन्हें अनुच्छेद 26 पढ़ाया जाए। सरकार का लक्ष्य वक्फ संपत्तियों को छीनना है। वे इसे अपनी ताकत के आधार पर छीनना चाहते हैं।
परिसीमन ऐसा किया कि मुस्लिम जीत न पाएं
ओवैसी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में परिसीमन में ऐसे किया गया कि मुस्लिम लोग चुनाव न जीत पाएं। 2007 में सच्चर कमेटी ने नए सिरे से परिसीमन करने के लिए कहा था। मुझे नहीं लगता कि जब नई जनगणना होगी तो सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाएगा। अनुच्छेद 15 और 16 में आरक्षण उनको नहीं मिला जिनका मजहब इस्लाम था। संविधान में अनुच्छेद 25, 26, 29, 13, 14 और 21 का उल्लेख है। उसका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है।
गोरक्षक के नाम पर मॉब लिंचिंग
ओवैसी ने कहा कि कई प्रदेशों में ऐसा कानून बना दिया गया कि आप ये नहीं खा सकते, आप वो नहीं खा सकते। हरियाणा और राजस्थान में पुलिस के अधिकार गोरक्षकों को दे दिए गए और उनका गलत इस्तेमाल मॉब लिंचिंग में किया गया। उदाहरण देते हुए एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि साबिर मलिक को पीटकर मार दिया गया कि उसने बीफ खाया था। बाद में पता लगा था कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था। जुनैद और नफीर को भी जिंदा जला दिया गया है। तब्दीली मजहब (धर्म परिवर्तन) का कानून लाया गया। क्या मुझे अपना मजहब बदलने के लिए सरकार से पूछना पड़ेगा? भाजपा का राष्ट्रवाद हिंदुत्व का है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों और दलितों को कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उनको अधिकार नहीं मिल रहे हैं।

 

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