Noida: वैसे तो सभी प्राधिकरण सरकार के अधीन है और विकास कार्यों के लिए काम करते हैं, लेकिन नोएडा का नाम जहां जुड़ जाता है वहां लोगों का विश्वास कई गुना बढ़ जाता है। नोएडा बसा उसके बाद ग्रेटर नोएडा बसा और फिर यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में धीरे-धीरे बसावट होने लगी। फिलहाल अभी जंगल सा ही दिखता है। कोरोना काल में यमुना प्राधिकरण ने अपना रेवेन्यू कई गुना बढ़ा लिया, क्योंकि अलग-अलग औद्योगिक और आवास स्कीम निकालकर भूखंड आवंटित किए गए। जेवर एयरपोर्ट यमुना प्राधिकरण के लिए वरदान है। अब यमुना प्राधिकरण पर न्यू नोएडा का कॉन्सेप्ट भारी पड़ रहा है। जो लोग यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जमीन खरीदना चाहते थे। अब वह न्यू नोएडा यानी दादरी से लेकर बुलंदशहर के बीच जमीन तलाश रहे हैं।
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खास बात यह है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में अलग-अलग गांव में अधिग्रहण की धाराएं लागू है, लेकिन न्यू नोएडा वाले गांव में फिलहाल अधिग्रहण की कोई भी धारा प्रभावी नहीं है। यहां ईस्टर्न पेरिफेरल और जीटी रोड इसके लिए वरदान है। ग्रेटर नोएडा के जो सेक्टर सबसे पीछे हुआ करते थे अब वह बहुत आगे निकलते जा रहे हैं। कारण है ईस्टर्न पेरीफेरल का होना। ग्रेटर नोएडा और न्यू नोएडा के बीच वाले इलाकों में जमीनों के रेट आसमान छूने लगे हैं। फिलहाल बड़े बड़े खेत है, लेकिन बड़े-बड़े औद्योगिक घराने कई कई सौ बीघा जमीन खरीद रहे हैं। इतना ही नहीं बहुत से कंपनी मालिकों ने 10-10-15-15 बीघा में अपने वेयरहाउस बना दिए हैं। ताकि माल यहां से सीधे ईस्टर्न पेरिफेरल पर ट्रक लेकर चलें और अपने गंतव्य तक पहुंच जाए। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जमीन के रेट में जो तेजी आ रही थी। अब धीरे-धीरे यहां प्रोपर्टी बाजार ठंडा हो रहा है।