राज्यसभा में बोलते हुए रिजिजू ने कहा, “सरकार निर्वाचन सुधारों पर चर्चा का प्रस्ताव रखना चाहती है। लेकिन हमारी अपील है कि जब सरकार तैयार हो, तब तारीख तय करें। कृपया समय सीमा न लगाएं। वंदे मातरम हमारी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा विषय है, इसे पहले रखना उचित होगा।” उन्होंने बताया कि व्यवसाय सलाहकार समिति (BAC) की पहली बैठक में वंदे मातरम पर चर्चा पहले ही सूचीबद्ध है, और लोकसभा में इसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। तारीख स्पीकर ओम बिरला तय करेंगे।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नियम 267 के तहत SIR पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा, “यह जनता का मुद्दा है। लोगों की जान जा रही है, आत्महत्याएं हो रही हैं। हमें चर्चा की अनुमति दें।” तृणमूल कांग्रेस (TMC) के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि 14 विपक्षी दल इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं। द्रविड़ मुनेत्र कढ़गम (DMK) के तिरुची सिवा ने सरकार पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया, “लोगों की आवाज दबाई जा रही है। यह गंभीर मुद्दा है।” कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिट्टास ने कहा कि सरकार जिद क्यों कर रही है? कल दोपहर 2 बजे से शुरू हो तो दो दिनों में खत्म हो जाएगा।
हंगामे के बीच राज्यसभा दोपहर 2 बजे शुरू हुई, लेकिन विपक्ष के वॉकआउट के बाद भी बहस आगे नहीं बढ़ी। लोकसभा में सुबह 11 बजे शुरू हुई कार्यवाही SIR मुद्दे पर नारेबाजी के कारण दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई, और बाद में पूरे दिन के लिए सभापति हो गई। विपक्षी सांसदों ने संसद भवन के मकर द्वार पर सुबह 10:30 बजे विरोध प्रदर्शन भी किया।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने दलगत नेताओं की बैठक बुलाई है ताकि SIR पर गतिरोध टूट सके। रिजिजू ने फ्लोर लीडर्स से मुलाकात की, लेकिन समयसीमा पर सहमति नहीं बनी। सरकार ने साफ कहा कि SIR प्रशासनिक मामला है, लेकिन इसे व्यापक निर्वाचन सुधारों के दायरे में चर्चा संभव है। विपक्ष का आरोप है कि SIR से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट शुद्धिकरण के नाम पर लाखों मतदाता प्रभावित हो रहे हैं, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है।
यह सत्र बिहार विधानसभा चुनाव के बाद NDA की मजबूत स्थिति के बीच शुरू हुआ है। सरकार के पास बीमा सुधार, नया कर ढांचा समेत नौ महत्वपूर्ण विधेयक लंबित हैं, साथ ही 2025-26 के लिए पूरक अनुदान मांगें। राज्यसभा सभापति सीपी राधाकृष्णन ने सोमवार को सदस्यों से संविधान की ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करने की अपील की थी।
विपक्ष और सरकार के बीच यह टकराव सत्र की चाल को प्रभावित कर सकता है, जो 19 दिसंबर तक चलने वाला है। रिजिजू ने कहा, “विपक्ष चुनाव हारने का गुस्सा संसद में न निकाले। सहयोग करें।” वहीं, खड़गे ने सभापति से निष्पक्षता की मांग की। राजनीतिक हलकों में उम्मीद है कि जल्द ही सहमति बनेगी, वरना सत्र ठप हो सकता है।

