इस मामले में अक्षय कुमार ने हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां उन्होंने जॉन डो (अज्ञात व्यक्तियों) और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर एआई का दुरुपयोग रोकने की मांग की। वकील बीरेन्द्र साराफ ने दलील दी कि ऐसे फर्जी वीडियो न सिर्फ कलाकारों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि फेक न्यूज और साइबर अपराधों को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने उदाहरण दिए, जैसे मार्च 2025 में एक फर्जी फिल्म ट्रेलर जिसमें अक्षय को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रूप में दिखाया गया था, जिसे 20 लाख से ज्यादा व्यूज मिले। इसी तरह, सितंबर में ‘महर्षि वाल्मीकि’ नामक काल्पनिक फिल्म का ट्रेलर वायरल हुआ, जिसमें अक्षय को संत वाल्मीकि की भूमिका में दिखाया गया। यह वीडियो इतना वास्तविक लग रहा था कि जालंधर में वाल्मीकि समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया, इसे अपमानजनक मानते हुए।
कोर्ट ने आदेश में कहा, ‘एआई से बने डीपफेक वीडियो और इमेज की यथार्थवादी प्रकृति वाकई चिंताजनक है। ये इतने सटीक होते हैं कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। अक्षय कुमार का महर्षि वाल्मीकि के रूप में चित्रण और साम्प्रदायिक बयानों वाला वीडियो न केवल उनकी गरिमा पर हमला है, बल्कि परिवार की सुरक्षा, निजता और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है।’ कोर्ट ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, एक्स (पूर्व ट्विटर) और ई-कॉमर्स साइट्स को अक्षय की छवि, आवाज या नाम के बिना अनुमति के उपयोग पर रोक लगा दी। साथ ही, भविष्य में ऐसे कंटेंट की निगरानी के लिए तकनीकी उपायों की जरूरत पर जोर दिया।
अक्षय कुमार का पुराना बयान फिर सुर्खियों में
घटना के तुरंत बाद 23 सितंबर को अक्षय ने एक्स पर पोस्ट कर स्पष्ट किया था, ‘मैंने कुछ एआई-जनरेटेड वीडियो देखे हैं, जिनमें मुझे महर्षि वाल्मीकि की भूमिका में दिखाया गया है। ये पूरी तरह फर्जी हैं। दुख की बात है कि कुछ चैनल बिना जांच के इन्हें खबर चला रहे हैं। आज के दौर में एआई से भ्रामक सामग्री आसानी से बनाई जा रही है, इसलिए मीडिया से अपील है कि खबर चलाने से पहले पुष्टि करें।’ यह बयान अब कोर्ट के फैसले के बाद फिर वायरल हो रहा है। एक्स पर #AkshayKumarDeepfake ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स डीपफेक के खतरों पर चर्चा कर रहे हैं। इंडिया टुडे जैसे हैंडल्स ने कोर्ट के आदेश को हाइलाइट किया है।
डीपफेक का बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों की राय
वकीलों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सेलिब्रिटीज के लिए मिसाल बनेगा। सीनियर एडवोकेट साराफ ने सुनवाई में कहा कि ऐसे वीडियो फेक न्यूज का नया रूप हैं, जो सामाज्रिक वैमनस्य फैला सकते हैं। कोर्ट ने सहमति जताते हुए चेतावनी दी कि बिना अनुमति के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन नैतिक और कानूनी अपराध है। केंद्र सरकार से भी अपेक्षा है कि एआई कंटेंट पर सख्त कानून बने, जैसे डीपफेक डिटेक्शन टूल्स और प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी।
फिलहाल, अक्षय अपनी आने वाली फिल्मों ‘भूत बंगला’, ‘वेलकम टू द जंगल’ और ‘हैवान’ की शूटिंग में व्यस्त हैं। यह मामला डिजिटल युग में गोपनीयता और सत्य की रक्षा का प्रतीक बन गया है। कोर्ट ने इसे ‘जनहित के खिलाफ’ बताया है।

