बुधवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से अपील की थी कि वीसी के आचरण की निष्पक्ष जांच के दौरान एक प्रो-वीसी नियुक्त किया जाए। गुरुवार को वीसी सिंह ने बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बीओएम) की विशेष आपात बैठक ऑनलाइन बुलाई, जिसमें मास कम्युनिकेशन विभाग की प्रोफेसर जॉया चक्रवर्ती को प्रो-वीसी बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ। हालांकि, चक्रवर्ती ने पद ठुकरा दिया। रजिस्ट्रार इन-चार्ज चंदन गोस्वामी ने बताया, “प्रो-वीसी उपलब्ध न होने पर वरिष्ठतम प्रोफेसर को वीसी के कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ता है। 75 दिनों की अनुपस्थिति से विश्वविद्यालय ठप हो गया था।”
इसके तुरंत बाद, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर ध्रुव कुमार भट्टाचार्य ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर पदभार संभालने की सूचना दी। उन्होंने कहा, “कैंपस की वर्तमान स्थिति को सामान्य करने के लिए यह कदम आवश्यक था।” पदभार ग्रहण करने के बाद भट्टाचार्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए उत्कृष्टता, नवाचार और शोध पर जोर दिया।
तेजपुर यूनिवर्सिटी यूनाइटेड फोरम (टीयूयूएफ) और शिक्षक संघ ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया। एक फैकल्टी सदस्य ने कहा, “हम वर्तमान वीसी को स्वीकार नहीं करते। स्वतंत्र जांच तक शटडाउन चलेगा।” नवंबर 29 से शुरू अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं रद्द हो गईं।
एनएसयूआई असम के अध्यक्ष कौशिक कश्यप कलिता ने गुवाहाटी में प्रदर्शन किया, जिसमें वीसी के तत्काल इस्तीफे और निलंबन की मांग की गई। सितंबर से अब तक 11 फैकल्टी सदस्यों और अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल द्वारा नियुक्त फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी भी जांच कर रही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को सूचित करने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया न आने से असंतोष बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि वीसी सिंह को पद पर बने रहने देने से विश्वविद्यालय की अखंडता खतरे में पड़ जाएगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने सामान्य हालात बहाल करने का आश्वासन दिया है, लेकिन छात्र संगठनों ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने तक कोई रियायत नहीं। यह विवाद असम के उच्च शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधारों की मांग को तेज कर सकता है।

