KwaZulu-Natal/South Africa News: जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर दक्षिण अफ्रीका में आयोजित आईबीएसए (भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका) नेताओं की त्रिपक्षीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी तरह के दोहरे मापदंड को सिरे से खारिज करते हुए कड़ा संदेश दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“आतंकवाद जैसा गंभीर मुद्दा है, उसमें दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए एकजुट और निर्णायक कार्रवाई ज़रूरी है।”
तीनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की बैठक को संस्थागत रूप देने की वकालत करते हुए उन्होंने सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार अपरिहार्य
प्रधानमंत्री ने बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार को “वैकल्पिक नहीं, अनिवार्य” बताया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में वैश्विक संस्थाएँ 21वीं सदी की वास्तविकताओं का प्रतिबिंब नहीं हैं। “हम तीनों देशों में से कोई भी UNSC का स्थायी सदस्य नहीं है। यह स्पष्ट करता है कि वैश्विक संस्थाएँ अब आज की दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। इसलिए आईबीएसए को एक स्वर में दुनिया को संदेश देना होगा कि संस्थागत सुधार कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य है।”
अफ्रीकी धरती पर पहला जी-20 और ग्लोबल साउथ की लगातार चौथी अध्यक्षता
प्रधानमंत्री ने इस बैठक को ऐतिहासिक बताया क्योंकि यह अफ्रीकी महाद्वीप पर पहला जी-20 सम्मेलन है और लगातार चौथी बार ग्लोबल साउथ का कोई देश (इंडोनेशिया, भारत, ब्राज़ील और अब दक्षिण अफ्रीका) जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, जिनमें से पिछले तीन आईबीएसए के सदस्य हैं।
नई पहलें और प्रस्ताव
1. आईबीएसए डिजिटल इनोवेशन अलायंस की स्थापना का प्रस्ताव
• यूपीआई, को-विन जैसी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी फ्रेमवर्क और महिला-नेतृत्व वाली तकनीकी पहलों को साझा करने की योजना।
2. सुरक्षित और मानव-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक मानकों में योगदान।
• अगले साल भारत में होने वाले AI समिट में ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को आमंत्रित किया।
3. जलवायु-सहिष्णु कृषि के लिए आईबीएसए फंड की प्रस्तावना ताकि दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और मज़बती मिले।
बैठक की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने की, जबकि ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा भी इसमें शामिल हुए। तीनों लोकतंत्र और बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ तीन महाद्वीपों को जोड़ने वाली इस फॉर्म को और मज़बूत करने पर सहमत हुए।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर आतंकवाद, संस्थागत सुधार और डिजिटल-तकनीकी सहयोग अहम मुद्दे बने हुए हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में वह किसी भी दोहरे मानदंड को बर्दाश्त नहीं करेगा।

