ढाका में तनाव चरम पर, मौत की सजा की मांग

Bangladesh/International Crimes Tribunal News: बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसक कार्रवाई के लिए मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी करार दिया। 78 वर्षीय हसीना पर गैर-हाजिर में मुकदमा चला, जिसमें अभियोजन पक्ष ने मौत की सजा की मांग की थी। यह फैसला 453 पृष्ठों का है और लाइव प्रसारित किया गया। हसीना के बेटे साजीद वाजेद ने इसे “राजनीतिक साजिश” बताते हुए फरवरी 2026 के चुनावों में अवामी लीग की भागीदारी की मांग की है, वरना हिंसा भड़कने की चेतावनी दी।

ट्रिब्यूनल ने हसीना को “मास्टरमाइंड” करार देते हुए कहा कि उन्होंने हेलीकॉप्टर, ड्रोन और हथियारों से निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला करवाया, जिसमें 1,400 से अधिक लोग मारे गए। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमल भी दोषी पाए गए, जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामुन ने गवाही देकर सजा से बच गए। न्यायाधीश एमडी गोलाम मोर्तुजा मोजुमदार की अगुवाई वाली बेंच ने पांच प्रमुख आरोपों—उकसावा, नरसंहार, अबू सईद की हत्या, चांखारपुल और अशुलिया नरसंहार—पर फैसला सुनाया।

ढाका में सुरक्षा का किला, बम विस्फोटों से दहशत
फैसले से पहले ढाका में हाई अलर्ट है। पुलिस ने “शूट ऑन साइट” का आदेश जारी किया है, जिसमें आगजनी या बम फेंकने वालों पर गोली चलाने की अनुमति दी गई। रविवार रात को कई कच्चे बम विस्फोट हुए, जिसमें ग्रामीण बैंक मुख्यालय के पास धमाका शामिल है। अवामी लीग समर्थकों ने हड़ताल बुलाई, जिससे सार्वजनिक परिवहन ठप हो गया। रिक्शा ही एकमात्र साधन बचे हैं। डीयू के छात्र नेता जासिम खान, जिनकी आंदोलन में एक आंख चली गई, ने कहा, “कोई तानाशाह फिर कभी नहीं उठेगा।” पीड़ित परिवारों ने हसीना को भारत से लाकर सार्वजनिक फांसी की मांग की। मिर महबूबुर रहमान स्निग्धो ने कहा, “उसे हजार बार फांसी दी जाए तो भी कम है।”

सुरक्षा बलों ने चेकपॉइंट्स बढ़ाए, ड्रोन से निगरानी की जा रही। बीबीसी के अनुसार, फैसला पढ़ने में एक घंटा लगेगा। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लाइव अपडेट्स ट्रेंड कर रहे हैं, जहां यूजर्स #SheikhHasinaVerdict हैशटैग से न्याय की मांग कर रहे।

एक पोस्ट में एक टीवी चैनल ने लिखा, “हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया गया।”

हसीना का इनकार, भारत से अपील
भारत में निर्वासन में रह रही हसीना ने फैसले को “कंगारू कोर्ट” कहा। रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उनके बेटे साजीद ने कहा, “मां गुस्से में हैं, लेकिन अल्लाह ने जान दी है, वही लेगा।” उन्होंने भारत को “सबसे बड़ा सहयोगी” बताते हुए अंतरिम सरकार पर दबाव डालने की अपील की। हसीना ने यूनुस सरकार पर अल्पसंख्यकों पर 2,400 हमलों का आरोप लगाया। भारत ने हसीना को पूर्ण सुरक्षा दी है, लेकिन प्रत्यर्पण पर चुप्पी साध रक्खी है।

बीएनपी नेता मिर्जा फखरुल ने “निष्पक्ष फैसला” की उम्मीद जताई। यूनुस सरकार ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाया है, जिसे हसीना ने “लोकतंत्र का अपहरण” बताया।

जुलाई चार्टर
नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने “जुलाई चार्टर” पेश किया, जिसमें प्रधानमंत्री के लिए दो कार्यकाल सीमा, राष्ट्रपति शक्तियों में वृद्धि और बहु-जातीय राज्य की मान्यता शामिल है। फरवरी 2026 के चुनावों के साथ इस पर जनमत संग्रह होगा। समर्थक इसे “तानाशाही रोक” बताते हैं, जबकि हसीना समर्थक इसे उनकी विरासत मिटाने का हथियार कहते हैं।

यह फैसला बांग्लादेश के भविष्य को आकार देगा। क्षेत्रीय स्थिरता पर असर पड़ सकता है, खासकर भारत के साथ संबंधों पर। अंतरराष्ट्रीय साझेदार सतर्क हैं।

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