बिहार चुनाव और इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे पर बढ़ी तनातनी, फिर उतरेंगे लालू मैदान में

Bihar Assembly Election News: सारांश, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में विपक्षी इंडी गठबंधन (I.N.D.I.A.) में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच गतिरोध बढ़ता जा रहा है। तेजस्वी यादव की ओर से सभी 243 सीटों पर लड़ने का दावा किया गया है, जबकि कांग्रेस राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा की सफलता के आधार पर कम से कम 70 सीटें मांग रही है। ऐसे में चर्चा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार फिर बातचीत में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं, ताकि गठबंधन टूटने से बचा जा सके।

विस्तार
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आ रही है। जहां एक ओर राजद नेता तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है, वहीं कांग्रेस राहुल गांधी की हालिया वोटर अधिकार यात्रा की सफलता का हवाला देकर अधिक सीटों की मांग कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद गठबंधन के लिए बड़ा खतरा बन सकता है, खासकर तब जब एनडीए पहले ही अपनी तैयारी मजबूत कर चुका है।

पिछले लोकसभा चुनाव 2024 में भी सीट बंटवारे को लेकर राजद ने कांग्रेस को इंतजार करवाया था और लालू प्रसाद यादव ने प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न देकर मैदान में उतार दिया था। इस बार कांग्रेस ने सबक लेते हुए पहले से ही अपनी रणनीति मजबूत की है। प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर पिछड़े वोट बैंक पर फोकस किया गया और वोटर अधिकार यात्रा के माध्यम से जनता के बीच प्रभाव बढ़ाया गया इसलिए इस यात्रा की सफलता से उत्साहित कांग्रेस अब 70 सीटों पर अड़ी हुई है, जो 2020 के चुनाव में मिली सीटों के बराबर है। कुछ रिपोर्ट्स में तो कांग्रेस की मांग 90 सीटों तक पहुंचने की भी बात कही जा रही है।

तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक रैली में कहा कि राजद सभी सीटों पर लड़ने को तैयार है, जो गठबंधन में दरार का संकेत दे रही है। उन्होंने अपनी ‘सीएम-चेयर अधिकार’ रैली को अकेले आयोजित किया, जिसमें राजद की हरी बस पर उनकी तस्वीर और पार्टी का चुनाव चिह्न ‘लालटेन’ प्रमुखता से दिखाया गया। यह कदम राहुल गांधी की यात्रा से मिली चुनौती का जवाब माना जा रहा है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि तेजस्वी और राहुल के बीच सीधा टकराव हो रहा है, जहां तेजस्वी को सीएम फेस मानने से कांग्रेस पीछे हट रही है।

ऐसे में लालू प्रसाद यादव की भूमिका फिर से महत्वपूर्ण हो सकती है। लालू का फॉर्मूला हमेशा सोनिया गांधी से सीधी बातचीत का रहा है, और उन्होंने राहुल को ‘दूल्हा’ तक कहकर माहौल हल्का किया था। लेकिन इस बार तेजस्वी को कमान सौंपी गई थी, जो अब असहज स्थिति में है। राजद के अंदर यह बात चल रही है कि लालू को फिर से डील के लिए उतरना पड़ सकता है। वाम दलों की स्थिति कमजोर है, वे ज्यादा बवाल नहीं कर रहे, लेकिन कांग्रेस की जिद से पूरा गठबंधन प्रभावित हो रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने वाले हैं। अगर सीट बंटवारे पर जल्द सहमति नहीं बनी, तो गठबंधन टूट सकता है, जो एनडीए के लिए फायदेमंद साबित होगा। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा है कि नए दलों के आने पर सीटों का नुकसान सहना पड़ सकता है, लेकिन कांग्रेस पहले से ही नुकसान में होने का हवाला देकर पीछे नहीं हट रही। दिल्ली में जल्द ही गठबंधन दलों की बैठक बुलाने की तैयारी है, जहां लालू की अनुपस्थिति से नई कहानी सामने आ सकती है।

यह विवाद बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है, जहां दोनों पार्टियां अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में हैं। अंत में, जनता की नजर इस पर टिकी है कि क्या इंडी गठबंधन एकजुट होकर एनडीए को चुनौती दे पाएगा या नहीं।

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