ताइवान ने अमेरिका के 50-50 चिप उत्पादन प्रस्ताव को किया सिरे से खारिज

Taiwan VS America News: ताइवान ने अमेरिका के साथ अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) उत्पादन में 50-50 का बंटवारा करने के प्रस्ताव को पूरी तरह से ठुकरा दिया है। ताइवान के उप-प्रधानमंत्री और प्रमुख टैरिफ वार्ताकार चेंग ली-च्यून ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई और न ही ताइवान ऐसी शर्तों को स्वीकार करेगा। यह बयान अमेरिका-ताइवान व्यापार वार्ताओं के बीच आया है, जहां चिप उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का केंद्र बिंदु बना हुआ है।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक ने हाल ही में इस सप्ताहांत में इस 50-50 प्रस्ताव का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया कि अमेरिका की चिप जरूरतों का आधा हिस्सा अमेरिकी मिट्टी पर उत्पादित होना चाहिए। वर्तमान में, विश्व की अधिकांश उन्नत चिपें ताइवान में निर्मित होती हैं, जहां दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्माता टीएसएमसी (TSMC) स्थित है।

लुटनिक ने कहा था कि अमेरिका अभी भी ताइवान पर “मूल रूप से निर्भर” रहेगा, लेकिन घरेलू उत्पादन को 40% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, चेंग ने केंद्रीय समाचार एजेंसी को दिए बयान में जोर देकर कहा, “हमारी वार्ता टीम ने कभी भी चिप्स पर 50-50 बंटवारे की कोई प्रतिबद्धता नहीं की। आश्वस्त रहिए, हमने इस दौर की बातचीत में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की, न ही ऐसी शर्तों को स्वीकार करेंगे।”

पृष्ठभूमि: व्यापार असंतुलन और टैरिफ विवाद
ताइवान अमेरिका के साथ बड़े व्यापार अधिशेष का सामना कर रहा है, और उसके निर्यात पर 20% टैरिफ लगाया गया है। हाल की वार्ताओं में “कुछ प्रगति” हुई है, और ताइवान को उम्मीद है कि अमेरिका से अधिक अनुकूल टैरिफ दर मिलेगी। प्रधानमंत्री चो जंग-ताई ने कहा कि “टैरिफ मुद्दों पर सबसे महत्वपूर्ण पदार्थिक परामर्श चल रहे हैं।” इसके अलावा, ताइवान ने चार वर्षों में अमेरिकी कृषि उत्पादों (जैसे सोयाबीन, गेहूं, मकई और बीफ) के 10 अरब डॉलर के खरीद की योजना की घोषणा की है, जो संबंधों को मजबूत करने का प्रयास है।

टीएसएमसी पहले से ही एरिजोना में 165 अरब डॉलर का निवेश कर चिप कारखाने बना रहा है, लेकिन कंपनी का अधिकांश उत्पादन ताइवान में ही रहेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह अस्वीकृति अमेरिका की मांग को चुनौती देती है कि अमेरिका की चिप मांग का आधा हिस्सा अमेरिकी उत्पादन से पूरा हो, जो व्यापार तनाव को उजागर करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे व्यापार विवाद के बीच ताइवान की मजबूत प्रतिक्रिया बताया है।

प्रभाव: वैश्विक चिप युद्ध में नया मोड़
यह अस्वीकृति अमेरिका-ताइवान संबंधों पर असर डाल सकती है, खासकर जब चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है। अमेरिका चिप उत्पादन को विविधीकृत करने के लिए दबाव बना रहा है ताकि ताइवान पर निर्भरता कम हो, लेकिन ताइवान अपनी तकनीकी श्रेष्ठता को बनाए रखना चाहता है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रियाओं में #ChipWars ट्रेंड कर रहा है, जहां उपयोगकर्ता टीएसएमसी के निवेश को सकारात्मक मानते हुए ताइवान की स्थिति का समर्थन कर रहे हैं। एक पोस्ट में कहा गया, “ताइवान ने 50/50 साझेदारी को खारिज कर दिया। टीएसएमसी एरिजोना में 165 अरब डॉलर निवेश कर रहा है, लेकिन उन्नत फैब्स घर पर ही रखेगा।”

इन्वेस्टिंग डॉट कॉम के अनुसार, यह फैसला ताइवान की चिप अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कंपनी की लागत संरचना और बाजार गतिशीलता को चुनौती देगा। अमेरिकी वाणिज्य विभाग और यूएस ट्रेड प्रतिनिधि कार्यालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करेगा, जहां ताइवान 90% से अधिक उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है। ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने हाल ही में अमेरिकी उप-सचिव ल्यूक जे. लिंडबर्ग से मुलाकात की, जो संबंधों को मजबूत करने का संकेत है।
यह घटना अमेरिका की ‘चिप्स एंड साइंस एक्ट’ नीति का हिस्सा लगती है, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है, लेकिन ताइवान की अस्वीकृति से वार्ताएं जटिल हो सकती हैं। आगे की प्रगति पर नजरें टिकी हैं।

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