चुनावी नतीजों ने तय की दिशा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एनडीए को 243 सीटों में से 202 पर जीत दिलाई, जो राज्य में तीन-चौथाई बहुमत है। भाजपा ने 89 सीटें हासिल कीं, जबकि जेडीयू को 85, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 19, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) को 5 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीटें मिलीं। यह जीत 2010 के बाद एनडीए का दूसरा 200 से अधिक सीटों का प्रदर्शन है। विपक्षी महागठबंधन को सिर्फ 41 सीटें ही नसीब हुईं।
नीतीश कुमार के बेटे निशांत ने कहा, “यह जीत अपेक्षा से कहीं बेहतर है। लोगों ने पिता के ट्रैक रिकॉर्ड और विकास के विजन पर भरोसा जताया है।” उन्होंने कहा कि राज्य में सर्वांगीण विकास जारी रहेगा।
शपथ समारोह की भव्य तैयारी
शपथ ग्रहण समारोह गांधी मैदान में होगा, जहां के लिए पटना प्रशासन ने 17 से 20 नवंबर तक आम जनता के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। वरिष्ठ भाजपा नेताओं के मुताबिक, कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। एक उपमुख्यमंत्री के नाम की घोषणा भी संभावित है।
कैबिनेट बर्थ वितरण का फॉर्मूला तय हो चुका है। जेडीयू और भाजपा के अलावा छोटे सहयोगी दल—एलजेएपी (आरवी), एचएएम-एस और आरएलएम—भी सरकार में शामिल होंगे। भाजपा को सबसे अधिक मंत्रिमंडल पद मिलने की उम्मीद है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्ष ने नतीजों पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, “महागठबंधन के उम्मीदवार तेजस्वी यादव लोकप्रिय नेता हैं। वोटों की चोरी के बिना वे मुख्यमंत्री बनते।” आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयान पर भाजपा नेता बूरा नरसैया गौड़ ने पलटवार किया, “वंशवादी राजनीति अब ढह रही है। बिहार में परिवारों के बीच सत्ता और भ्रष्टाचार के कारण कलह हो रही है।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नतीजों को “आश्चर्यजनक” बताया था, जबकि रॉबर्ट वाड्रा ने पुनर्मतदान की मांग की। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने मदद की, बिहार के लोग नतीजों से खुश नहीं हैं।” मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस पर तंज कसा, “पार्टी को अभी भी हार का कारण समझ नहीं आया।”
भाजपा की रणनीति और भविष्य की दिशा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए शपथ जल्द से जल्द होगी।
एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने अमित शाह को बधाई दी, “यह जनादेश स्थिर और जवाबदेह शासन पर विश्वास दर्शाता है।”
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी यह मुद्दा चर्चा में है। कई यूजर्स ने नीतीश के इस्तीफे को नई राजनीतिक गतिशीलता का संकेत बताया, जबकि कुछ ने विकास पर फोकस की मांग की।
एनडीए की यह जीत बिहार में स्थिरता लाने का वादा करती है, लेकिन कैबिनेट गठन और नीतिगत फैसलों पर नजरें टिकी हैं। राज्य के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नई सरकार विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

