Supreme Court: न्यायपालिका और केन्द्र के बीच चल रही खींचतान
Supreme Court: सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच सब कुछ सही नही चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट संविधान का कस्टोडियन है और उसकी मूल भावना को बनाएं रखने को आगे आया है। भारत के प्रधान न्यायधीश (chief justice of India) डीवाई चंद्रचूड ने कहा है कि संविधान का बुनियादी ढांचा ‘ध्रुव तारा’ की तरह है और जब रास्ता कठिन नजर आता है तो हमारा मार्गदर्शन करता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह एक जज की कुशलता पर निर्भर करता है कि वह किस तरीके से बदलते वक्त वक्त में संविधान की मूल भावना का ख्याल रखते हुए और उसे बचाते हुए उसकी व्याख्या करते है।
बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित 18वें नानी पालकीवाला मेमोरियल लेक्चर में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे संविधान की मूल संरचना या दर्शन संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, शक्तियों का बंटवारा, न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता व गरिमा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर आधारित है। ब्श्रप् ने कहा कि अगर नानी पालकीवाला नहीं होते, तो भारत में ‘मूल संरचना सिद्धांत’ नहीं होता।
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Supreme Court: मुख्य न्यायाधीश (chief justice of India) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आपको अपनी पीढ़ी की जरूरतें पता हैं, लेकिन संविधान एक अनमोल धरोहर है और किसी भी कीमत पर इसकी पहचान नष्ट नहीं कर सकते। सीजीआई(CJI) चंद्रचूड़ का बयान ऐसे वक्त में आया है जब हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने साल 1973 के मशहूर केशवानंद भारती फैसले पर सवाल उठाया था। उपराष्ट्रपति ने कहा था कि केशवानंद भारती के फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम की। आपको बता दें कि केशवानंद भारती के फैसले का मूल था कि संसद, संविधान में बदलाव तो कर सकती है, लेकिन इसके मूल ढांचे से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकती हैं।जगदीप धनखड़ ने कहा था कि मैं न्यायपालिका का पूरा सम्मान करता हूं, लेकिन यह बात मेरे समझ से परे है। क्या संसद इस बात की इजाजत दे सकती है कि उसका फैसला किसी दूसरे प्राधिकरण के अधीन होगा।
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उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से कॉलेजिय को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच कश्मकश की स्थिति बनी है। केंद्र सरकार, कॉलेजियम द्वारा जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सुझाए गए कई नामों को लगातार खारिज करती रही है। साथ ही कॉलेजियम सिस्टम की जगह एनजेएसी की तरफदारी करता है।