Supreme Court: हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका, अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज

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Supreme Court: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत नहीं मिली। अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही कड़ी फटकार लगाई। दरअसल, सोरेन ने हाल ही में कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए जमानत मांगी थी। शीर्ष अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (22 मई) को JMM नेता हेमंत सोरेन द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

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मामले में कुछ तथ्य छिपाने के बारे में शीर्ष अदालत की आपत्तियों के बाद हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कानूनी टीम ने याचिका वापस ले ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए मिले बेल के आधार पर सोरेन ने भी लोकसभा इलेक्शन के प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत मामले पर संज्ञान ले चुकी है। नियमित बेल याचिका भी खारिज हो चुकी है। ऐसे में गिरफ्तारी को चुनौती पर सुनवाई का आधार नहीं बनता। शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि सोरेन ने याचिका में तथ्य छुपाए। 4 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था।

तथ्य छिपाने पर लगाई फटकार

शीर्ष अदालत ने यह तथ्य छिपाने के लिए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से नाखुशी जताई कि उन्होंने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियमित बेल भी लंबित थी। यह बातें सोरेन की याचिका में छुपाई गईं। सोरेन के लिए पेश कपिल सिब्बल ने इसे अपनी गलती कहा। लेकिन जजों ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती।

तथ्यों को छिपाने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद हेमंत सोरेन के वकील गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने पर राजी हुए। अदालत ने सोरेन के वकील से कहा कि याचिका के गुण-दोष पर विचार किए बगैर गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेंगे। यदि अदालत विवरण पर गौर करेगी तो यह नुकसानदेह होगा।

हेमंत सोरेन के खिलाफ क्या है ED केस?

हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबंधित है, जिस पर ED ने आरोप लगाया है कि यह उनके द्वारा अवैध रूप से हासिल की गई थी। ED ने आरोप लगाया है कि करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन के विशाल पार्सल हासिल करने के लिए जाली/फर्जी दस्तावेजों की आड़ में डमी विक्रेताओं और खरीदारों को दिखाकर सोरेन द्वारा आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर के माध्यम से “अपराध की भारी मात्रा में आय” उत्पन्न की गई थी।

एजेंसी ने कहा कि 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है और निचली अदालत ने 13 मई को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। 13 मई को सोरेन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके खिलाफ अब समाप्त की गई उत्पाद शुल्क नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत देने के शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया और अपने लिए भी इसी तरह की राहत की मांग की। सोरेन फिलहाल न्यायिक हिरासत में रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में बंद हैं।

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