Supreme Court ने पार्षद मनोनयन पर एलजी से मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली नगर निगम में उप-राज्यपाल की तरफ से मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर जवाब देने के लिए उप-राज्यपाल कार्यालय को एक हफ्ते का समय दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को करने का आदेश दिया।

आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि उप-राज्यपाल बिना मंत्रिमंडल की सलाह के कोई फैसला कैसे कर सकते हैं। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली सरकार अधिनियम में 2019 में बदलाव के आधार पर एल्डरमैन की नियुक्ति की गई है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्षद मनोनीत करना दिल्ली सरकार का अधिकार है, बावजूद इसके लोकतंत्र का अपमान किया जा रहा है। पार्टी बहुमत से जीतकर आती है और उसे पलटने की कोशिश हो रही है।

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कोर्ट ने 29 मार्च को उप-राज्यपाल एलजी कार्यालय से जवाब तलब किया था। दिल्ली सरकार ने कहा है कि पार्षद मनोनीत करना राज्य सरकार का अधिकार है। उप-राज्यपाल ने पार्षद मनोनीत कर असंवैधानिक काम किया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उपराज्यपाल द्वारा एल्डरमैन की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब तक दिल्ली सरकार ही एल्डरमैन की नियुक्ति करती रही है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि एल्डरमैन की नियुक्ति तो प्रशासन ही करता है। तब सिंघवी ने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटर के अधिकार भी दायरे में होते हैं।

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