Supreme Court: ‘नदियों को प्लास्टिक कचरे से किया जाए मुक्त’
‘प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के बिना नदियों की सफाई के प्रयास भ्रामक व निरर्थक’
Supreme Court: नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए बड़ा दखल दिया है। जस्टिस हृषिकेश राय की अध्यक्षता वाली बेंच ने पर्यावरण की अनियंत्रित क्षति पर चिंता जताते हुए नदियों के कचरे को गंभीर पर्यावरणीय गिरावट बताते हुए इस मुद्दे से तत्काल निपटने को कहा। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में नदियों के प्रदूषण को लेकर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि नदियों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त किया जाए, क्योंकि जब तक नदियों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त नहीं किया जाता है तब तक सफाई के प्रयास भ्रामक और निरर्थक हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले में विचार-विमर्श के दौरान यह बात सामने आई कि जिन क्षेत्रों को ऐसे प्रदूषणकारी उत्पादों से मुक्त रखा जाना है, वहां प्लास्टिक का व्यापक उपयोग हो रहा है। इसके अलावा प्लास्टिक डंपिंग से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है और देश में नदियों के किनारों और जल निकायों में जलीय जीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है।
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बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2021 में राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सीबीआई जांच के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया है। जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी किया। दरअसल, 2021 में पश्चिम बंगाल मे हुए चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की सीबाई जांच के आदेश देने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में आरोपित और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा कि वह उन दस्तावेजों की प्रतियां मांग रहे हैं, जिन पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा नहीं किया है। वे आरोप तय करने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं। इसकी वजह से इसमें देरी हो रही है। जस्टिस विश्वनाथ ने राजू से पूछा कि क्या आपने उन दस्तावेजों को देने के लिए दिए गए आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने पूछा कि दस्तावेजों के निरीक्षण का समय क्या है। तब राजू ने कहा कि सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक निरीक्षण किया जा सकता है। हमने उन आदेशों को भी चुनौती दी है, जो हाई कोर्ट में लंबित हैं। कुछ दस्तावेजों में रिहाई पर रोक भी लगी है। इसलिए देरी पूरी तरह से याचिकाकर्ता के कारण हुई है। इसलिए उनके कारण हुई देरी का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।