योगी सरकार को बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम फटकार, जानिए कोर्ट आदेश

Supreme Court On Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश सरकार लगातार बुलडोजर कार्रवाई के जानी जा रही है। कुछ भी हो किसी का मकान गिरा दो तो किसी की दुकान। सुप्रीम कोर्ट कई बार ऐसी कार्रवाई पर योगी सरकार को फटकार लगा चुका है।इस भी ऐसा ही हुआ है। कोर्ट ने नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर मकान गिराने को गलत गलत ठहराते हुए यूपी के अधिकारियों को फटकार लगाई। इतना ही नही, हैरानी जताई कि मालिकों को अपील करने का समय दिए बगैर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह प्रयागराज के याचिकाकर्ताओं एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों को सशर्त उनके खर्चे पर पुनर्निर्माण की अनुमति देगा।
दोबारा घर बनाने की अनुमति के साथ निर्माण की ये शर्त
बता दें कि जस्टिस अभय एस ओका व जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच ने याचिकाकर्ताओं को शपथपत्र दाखिल करने का वक्त दिया। पीठ ने कहा, अगर वे संबंधित प्राधिकरण के समक्ष तय समय में अपील करने का शपथपत्र देते हैं, तो वह उन्हें दोबारा घर बनाने की अनुमति देगी। इसका खर्चा उन्हें उठाना होगा। उन्हें शपथपत्र में लिखना होगा, वे भूखंड पर किसी भी तरह का दावा और किसी तीसरे पक्ष के हितों की बात नहीं करेंगे। पीठ ने यह भी कहा, अगर उनकी अपील खारिज हो जाती है, तो याचिकाकर्ताओं को अपने खर्चे पर घरों को ध्वस्त भी करना होगा। याचिकाकर्ताओं को शपथपत्र दाखिल करने का समय देते हुए पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी।

मालूम हो कि 6 मार्च को नोटिस, 7 को ढहा दिए घर रू याचिकाकर्ताओं वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवा महिलाएं और एक अन्य व्यक्ति ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य को अपील दायर करने का उचित समय देना चाहिए था। उन्होंने कहा, जिस तरह से नो घंटे में यह किया, उससे न्यायालय की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। केवल नोटिस कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विधि, पंजीकृत डाक के माध्यम से दिय कोर्ट ऐसी प्रक्रिया बर्दाश्त नहीं कर सकता।

8 दिसंबर, 2020 को दिया था नोटिस

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा, पहला नोटिस 8 दिसंबर, 2020 को दिया गया था। फिर जनवरी, 2021 व मार्च, 2021 में नोटिस दिए। लिहाजा ध्वस्तीकरण अनुचित नहीं है। पट्टे की अवधि या फ्रीहोल्ड के अर्जियों की अस्वीकृति से बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हैं। सरकार कानूनी प्रक्रिया के पालन से इन्कार नहीं कर रही।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को आगाह किया, ऐसे आदेश का बड़ी संख्या में कब्जाधारी लाभ उठा सकते हैं।

 

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