Supreme Court News: ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर पहलवान सागर धनखड़ हत्या मामले में उनकी जमानत रद्द कर दी है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। यह मामला मई 2021 का है, जब दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में सागर धनखड़ की कथित तौर पर डंडों से पिटाई के बाद मृत्यु हो गई थी।
सुशील कुमार, जिन्होंने बीजिंग 2008 में कांस्य और लंदन 2012 में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था, इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2025 को उन्हें जमानत दी थी, जिसके बाद सागर धनखड़ के पिता अशोक धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। अशोक धनखड़ ने आरोप लगाया था कि सुशील ने गवाहों पर दबाव बनाया और उनके परिवार को समझौते के लिए मजबूर किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति संजय करोल और प्रशांत कुमार मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सभी तथ्यों और आरोपों पर विचार करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर अपराध में आरोपी का जमानत पर बाहर रहना जांच और गवाहों की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। सागर के पिता की वकील जोशिनी तुली ने बताया कि सुशील ने पहले भी अंतरिम जमानत का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की थी, और उनके पास इसके पर्याप्त सबूत हैं।
क्या है सागर धनखड़ हत्याकांड?
4 मई 2021 की रात दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की पार्किंग में संपत्ति विवाद को लेकर सुशील कुमार और उनके साथियों पर सागर धनखड़ और उनके दोस्तों पर हमला करने का आरोप लगा ।इस हमले में सागर गंभीर रूप से घायल हो गए थे और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस के अनुसार, इस घटना में पांच पहलवान घायल हुए थे, और एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें सुशील अपने साथियों के साथ सागर को हॉकी स्टिक से पीटते दिख रहे थे। इस वीडियो को खुद सुशील ने बनवाया था।
सुशील को 23 मई 2021 को मुंडका मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में थे। दिल्ली पुलिस ने 1,100 पृष्ठों के आरोपपत्र में सुशील सहित 13 लोगों के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, डकैती, और अन्य गंभीर धाराओं में आरोप तय किए हैं।
पिछली जमानतें और कोर्ट की कार्यवाही
सुशील को इससे पहले कई बार अंतरिम जमानत मिल चुकी थी। नवंबर 2022 में उनकी पत्नी की सर्जरी, मार्च 2023 में उनके पिता के अंतिम संस्कार, और जुलाई 2023 में घुटने के ऑपरेशन के लिए उन्हें जमानत दी गई थी। हालांकि, हर बार उन्होंने आत्मसमर्पण किया। मार्च 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट ने मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए उन्हें नियमित जमानत दी थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने खेल जगत में हलचल मचा दी है। सुशील कुमार को अब सात दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करना होगा, अन्यथा उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। यह मामला न केवल सुशील की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहा बल्कि भारतीय कुश्ती और खेल समुदाय के लिए भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इस मामले में कोर्ट की अगली सुनवाई और जांच का परिणाम देखना महत्वपूर्ण होगा।
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