कुत्तों को लेकर सुप्रीम फैसला

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, सार्वजनिक खेल परिसरों, बस डिपो और रेलवे स्टेशनों से भटके कुत्तों को तुरंत हटाया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि इन कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में वापस नहीं छोड़ा जाएगा, क्योंकि इससे सार्वजनिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की रक्षा का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने कहा, “इन कुत्तों को उसी क्षेत्र में छोड़ना अदालत के निर्देश के उद्देश्य को ही निरस्त कर देगा।” यह आदेश स्वत: संज्ञान मामले में जारी किया गया, जिसमें देशभर में भटके कुत्तों के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने पर विचार हो रहा है।

मुख्य निर्देश:
1. कुत्तों का प्रबंधन: सभी भटके कुत्तों को पकड़ा जाए, नसबंदी (स्टरलाइजेशन) और रेबीज टीका लगाया जाए, लेकिन उन्हें मूल स्थान पर वापस न छोड़ा जाए। यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बने पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 के अनुरूप होगा।

2. संस्थानों की जिम्मेदारी: हर सरकारी और निजी शैक्षणिक व चिकित्सा संस्थान, परिवहन केंद्र और खेल सुविधाओं को 8 सप्ताह में मजबूत बाड़ लगानी होगी ताकि कुत्तों का प्रवेश रोका जा सके। प्रत्येक संस्थान में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो कुत्तों की निगरानी और रखरखाव की जिम्मेदारी संभालेगा।

3. स्थानीय निकायों की भूमिका: नगर निगम और पंचायतें अगले 3 महीनों में नियमित निरीक्षण करेंगी और अनुपालन रिपोर्ट अदालत में जमा करेंगी।

राजमार्गों से मवेशी हटाओ:
अदालत ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से भटके मवेशियों व अन्य जानवरों को हटाकर उन्हें नामित आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए।
पृष्ठभूमि:

• पहले के आदेश: 3 नवंबर को अदालत ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा कार्यालय परिसर में कुत्तों को खिलाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। 22 अगस्त के आदेश में हर वार्ड में कुत्तों के लिए नियंत्रित भोजन क्षेत्र बनाने को कहा गया था।

• राज्यों की लापरवाही: अधिकांश राज्यों ने ABC नियमों के पालन पर रिपोर्ट नहीं दी, जिसके कारण मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा गया था (तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़कर)।

• विवाद: दिल्ली में एक 6 वर्षीय बच्ची की कुत्ते के काटने से मौत के बाद अगस्त में बड़े पैमाने पर कुत्तों को पकड़ने का आदेश दिया गया था, लेकिन पशु कल्याण संगठनों के विरोध के बाद इसे संशोधित कर नसबंदी-टीकाकरण-रिहाई मॉडल अपनाया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल (एमिकस क्यूरी) के सुझावों को विस्तृत आदेश में शामिल किया जाएगा। अदालत ने सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कहा कि अनियंत्रित भोजन और कुत्तों की मौजूदगी से आम लोगों को भारी असुविधा हो रही है।

यह फैसला देश में बढ़ते कुत्ते काटने की घटनाओं और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा चिंताओं के बीच आया है। राज्यों को अब सख्ती से अनुपालन करना होगा, वरना कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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