Builder Fraud In Noida Greater Noida, Gurugram News: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट बॉयर्स ने काफी परेशानियों का सामना किया है। इतना ही नहीं एक तरफ फ्लैट नहीं मिला तो दूसरी तरफ़ उनके खून पसीने की कमाई खत्म हो गई। इस कमाई से बिल्डरों ने अपनी तिजोरियां भर ली। बैंको को साथ मिलाकर आम आदमी से एक एक रुपया निकलवा लिया। सबवेंशन इस स्कीम के तहत बिल्डरों ने बैंको के साथ मिलकर बायर्स के साथ धोखाधड़ी की। इस मामले में सीर्बीआइ ने शिकंजा कसना शुरू किया है। सीबीआई ने एनसीआर में फ्लैट बॉयर्स के साथ ठगी को लेकर बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों के बीच सांठगांठ को लेकर 22 मामले दर्ज किए हैं। सीबीआई ने यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआई को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ की गई 6 प्रारंभिक जांच को मुकदमों में तब्दील करने की अनुमति दे दी। जांच के दायरे में एनसीआर के बिल्डर और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के विकास प्राधिकरण भी शामिल हैं।
इन बिल्डरों खिलाफ हुई एफआईआर
बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में पूरे एनसीआर में 47 ठिकानों पर छापा मारा था। छापे के दौरान कुछ डिजिटल सबूत और गैरकानूनी दस्तावेज मिले हैं। जिसके बाद सीबीआई ने जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लि., जयप्रकाश एसोशिएट लि., जेपी इंफ्राटेक लि., अजनारा इंडिया लि., वाटिका लि. सुपरटेक और आइडिया बिल्डरों समेत अन्य कंपनियों के नाम मुकदमा दर्ज कराया। इतना ही नही एफआईआर में एसबीआई, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनांस लि., पीरामल फाइनांस, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनांस और पीएनबी हाउसिंग फाइनांस जैसे बैंक और फाइनैंस कंपनियों के नाम हैं। इस मामले में आर्थिक सहायता योजना के तहत, बैंक स्वीकृत राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा करते हैं, जिन्हें इस ऋण राशि पर ईएमआई का भुगतान करना होता है जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते। बिल्डर जब बैंकों को किस्त का भुगतान नहीं किया तो त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआई जमा करने को कहा।
3 साल तक रुपए नहीं देने देते थे झांसा
बिल्डर से जब कोई व्यक्ति फ्लैट खरीदने जाता था तब उन्हें 3 साल तक कोई रुपया नहीं देने का झांसा दिया जाता था लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता था जिन लोगों के पास एकदम से फ्लैट खरीदने का पैसा नहीं होता था उनके लिए ये स्कीम एक वरदान की तरह लड़की थी फिर क्या था कोई भी व्यक्ति फ्लैट बुक करता था तो बैंक बिल्डर से मांगने की बजाय बायर्स से पैसा वसूल करना शुरू कर देता था एक तरफ को बायर्स की होम लोन की ईएमआई तो दूसरी और मकान का रेंट होता था। बिल्डरों ने तय समय पर फ्लैट नही दिये। कोर्ट 1,200 से अधिक घर खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च को सीबीआई को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी। इसने रियलिटी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ एक प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ 799 घर खरीदारों ने आठ अलग-अलग शहरों में परियोजनाओं से जुड़ी 84 अपीलों के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था।
कोर्ट ने बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों के संज्ञेन अपराध का पता लगाने को कहा
बता दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की ओर से संज्ञेय अपराध होने का पता लगाने के लिए मामलों की प्रारंभिक जांच के बाद, आगे की जांच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज करना आवश्यक है। पीठ ने सुझावों को स्वीकार करते हुए सीबीआई को नियमित मामले दर्ज करने और कानून के अनुसार आगे बढ़ने को कहा। पीठ ने एनसीआर के बाहर की प्रोजेक्ट्स पर सातवीं प्रारंभिक जांच के लिए एजेंसी को छह सप्ताह का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया कि वह सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट के कुछ हिस्से न्यायमित्र राजीव जैन को आवश्यक समझे जाने पर साझा करें। कोर्ट ने सीबीआई को न्यायमित्र द्वारा दाखिल रिपोर्ट की जांच करने को कहा और इसे आंखें खोलने वाली बताया। इस रिपोर्ट में रेरा सहित विकास प्राधिकरणों के लेन-देन में पारदर्शिता की आवश्यकता और बेईमान बिल्डरों से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के उपायों को रेखांकित किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 10 से 15 दिनों में होगी। शीर्ष अदालत ने 29 अप्रैल को सीबीआई को सुपरटेक लिमिटेड सहित एनसीआर के अन्य बिल्डरों के खिलाफ सात प्रारंभिक जांच दर्ज करने का निर्देश दिया था।

