केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति से जुड़ी 20 फाइलों लौटाते हुए फिर से विचार करने को कहा है। इसमें वकील सौरभ कृपाल की नियुक्ति भी शामिल है, जिन्होंने अपने समलैंगिक दर्जे के बारे में खुलकर बात की थी। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के जानकारों ने बताया कि सरकार ने 25 नवंबर को कॉलेजियम को फाइलें वापस भेजते हुए अनुशंसित नामों के बारे में कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि 20 नामों में से 11 नए नाम थे और नौ नाम शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को लेकर दिए गए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयान पर भी आपत्ति जताई है। पिछले दिनों काननू मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम पर एक बयान दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू की हालिया टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस बयान ने उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों में केंद्र की देरी के मुद्दे को भी हरी झंडी दिखाई है।
कैसे काम करेगा सिस्टम
कोर्ट ने कहा कि जमीनी हकीकत यह है कि नामों को मंजूरी नहीं दी जा रही है। सिस्टम कैसे काम करेगा? कुछ नाम पिछले डेढ़ साल से लंबित हैं। अदालत ने ये भी कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि आप नामों को रोक सकते हैं। यह पूरी प्रणाली को निराश करता है । और कभी-कभी जब आप नियुक्ति करते हैं, तो आप सूची से कुछ नाम उठाते हैं और दूसरों को स्पष्ट नहीं करते हैं। आप जो करते हैं वह प्रभावी रूप से वरिष्ठता को बाधित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि कई सिफारिशें चार महीने से लंबित हैं, और समय सीमा पार कर चुकी हैं। इसमें कहा गया है कि समय सीमा का पालन करना जरूरी होगा।