मराठा आरक्षण पर उप-समिति की बैठक हुई संपन्न, गिरीश महाजन ने दी जानकारी, जरांगे ने ठुकराया सरकार का प्रस्ताव

Mumbai/Maratha Reservation News: मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट उप-समिति की अहम बैठक आज राधाकृष्ण विखे पाटिल के रॉयल स्टोन बंगले पर संपन्न हुई। बैठक में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण देने की मांग पर चर्चा हुई, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने मीडिया को जानकारी दी। इस बीच, दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सरकार के रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया और अपनी मांगों पर अडिग रहने की बात दोहराई।

उप-समिति की बैठक और गिरीश महाजन का बयान
बैठक में गिरीश महाजन, दादा भुसे, मकरंद पाटिल, शिवेंद्रराजे भोसले सहित अन्य मंत्री और विधि एवं न्यायपालिका विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। गिरीश महाजन ने बताया कि उप-समिति ने मराठा आरक्षण के लिए मनोज जरांगे द्वारा प्रस्तुत मांगों, विशेष रूप से मराठों को कुनबी के रूप में ओबीसी कोटे में शामिल करने के प्रस्ताव पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा, “सरकार इस मुद्दे को संवैधानिक और कानूनी ढांचे के भीतर सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम हैदराबाद और सतारा गजेटियर के आधार पर कुनबी प्रमाणपत्र देने की संभावनाओं पर कानूनी सलाह ले रहे हैं।” महाजन ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार मराठा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार मराठा आरक्षण के लिए संवैधानिक समाधान खोज रही है और किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किया जाएगा।

कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे अपने आंदोलन से मुंबईवासियों की दिनचर्या को प्रभावित न करें, क्योंकि इससे आंदोलन की छवि खराब हो सकती है। उन्होंने कहा, “हम कानूनी बाधाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे का हल निकालने के लिए काम कर रहे हैं।”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता शरद पवार ने मराठा आरक्षण के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 52% तय की है, लेकिन तमिलनाडु में 72% आरक्षण को मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्ट और पारदर्शी नीति बनानी चाहिए।”

वहीं, ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण की मांग का विरोध करते हुए कहा कि ओबीसी कोटे को प्रभावित किए बिना कोई फैसला लिया जाना चाहिए। उन्होंने सोमवार को समता परिषद और अन्य ओबीसी संगठनों की बैठक बुलाने की घोषणा की।

मनोज जरांगे और प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया
आजाद मैदान में पांचवें दिन भी अपनी भूख हड़ताल जारी रखने वाले मनोज जरांगे ने सरकार के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमारी मांग संवैधानिक है। सरकार के पास 58 लाख रिकॉर्ड हैं, जो साबित करते हैं कि मराठा और कुनबी एक ही हैं। सरकार तुरंत सरकारी आदेश (जीआर) जारी करे।” जरांगे ने सरकार के प्रतिनिधिमंडल द्वारा बातचीत के लिए रिटायर्ड जज संदीप शिंदे को भेजने की आलोचना करते हुए कहा, “यह सरकार का ढोंग है। जीआर जारी करना जज का काम नहीं है।”

सोमवार को जरांगे ने पानी पीना भी बंद कर दिया था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उन्होंने कुछ घूंट पानी पिया। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को मंगलवार दोपहर तक आजाद मैदान और आसपास की सड़कें खाली करने का आदेश दिया था, जिसका पालन न करने पर मुंबई पुलिस ने जरांगे को नोटिस जारी किया। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने एक दिन की अनुमति के बावजूद नियमों का उल्लंघन किया और 35,000-45,000 लोगों की भीड़ जुटाकर दक्षिण मुंबई में यातायात बाधित किया।

जरांगे ने स्पष्ट किया, “हम तब तक यहां से नहीं हटेंगे, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं। सरकार चाहे गोली चलाए या जेल भेजे, हम पीछे नहीं हटेंगे।” उन्होंने समर्थकों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने की अपील की।

आंदोलन का प्रभाव
मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण दक्षिण मुंबई में भारी ट्रैफिक जाम और सार्वजनिक असुविधा की स्थिति बनी हुई है। प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ ने आजाद मैदान के साथ-साथ सीएसटीएम, मरीन ड्राइव और पी डी’मेलो रोड को अवरुद्ध कर दिया। स्थानीय होटल और दुकानें बंद हैं, और प्रदर्शनकारियों को पीने के पानी और बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

पृष्ठभूमि
मराठा समुदाय लंबे समय से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया था, लेकिन यह सुप्रीम कोर्ट की 52% आरक्षण सीमा के कारण कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहा है। मनोज जरांगे मराठों को कुनबी के रूप में ओबीसी कोटे में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जिसका ओबीसी समुदाय के कुछ नेता विरोध कर रहे हैं।

निष्कर्ष
मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र की सियासत में गरमाया हुआ है। सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, और बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि क्या सरकार जरांगे की मांगों पर कोई ठोस कदम उठाएगी या यह आंदोलन और उग्र होगा।

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