इटली में हथियारों की आपूर्ति के विरोध में शुरु हुआ हड़ताल

A strike has begun in Italy over arms supplies: इटली में हथियारों की आपूर्ति को लेकर एक हड़ताल शुरू हुई है, जो इसराइल को हथियार भेजे जाने के विरोध में आयोजित की गई है। यह हड़ताल देश के विभिन्न हिस्सों में देखी जा रही है, और इसका मुख्य उद्देश्य इसराइल को हथियारों की आपूर्ति रोकना है, खासकर गाजा में चल रहे संघर्ष के संदर्भ में।

पृष्ठभूमि और कारण
हाल के दिनों में इटली के बंदरगाहों पर हथियारों की आपूर्ति को लेकर काफी विवाद हुआ है। खबरों के अनुसार, 18 सितंबर 2025 को रवेना के एड्रियाटिक बंदरगाह पर दो ट्रकों को प्रवेश से रोक दिया गया, जिनमें कथित तौर पर इसराइल के लिए हथियार थे। इस कार्रवाई को इटली के डॉकवर्कर्स और अन्य मजदूर समूहों ने गाजा में चल रही हिंसा के खिलाफ विरोध के रूप में अंजाम दिया। इटली के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन संगठन सीजीआईएल (CGIL) ने 19 सितंबर को आधे दिन की राष्ट्रीय हड़ताल और रोम समेत अन्य शहरों में मार्च निकालने की घोषणा की, जबकि 22 सितंबर को जेनोआ और लिवोर्नो के बड़े बंदरगाहों पर कामकाज रोकने की योजना बनाई गई है।

कानूनी और राजनीतिक पहलू
इटली के कानून के अनुसार, उन देशों को हथियार निर्यात करना प्रतिबंधित है जो युद्ध में शामिल हैं या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। मार्च 2024 में, रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेटो ने घोषणा की थी कि सरकार ने अक्टूबर 2023 से इसराइल को नए हथियार निर्यात की मंजूरी नहीं दी है। हालांकि, कुछ खबरों में दावा किया गया है कि ब्यूरोक्रेटिक कमियों के कारण अन्य देशों से आने वाले हथियार इटली के रास्ते इसराइल तक पहुंच रहे हैं, जिसके खिलाफ विरोध तेज हो गया है। विदेश मंत्री एंटोनियो तजानी ने इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के साथ मिलकर हिंसक इसराइली सेटलर्स और गाजा-वेस्ट बैंक पर टिप्पणी करने वाले मंत्रियों के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन करने की बात कही है।

जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर अलग-अलग राय देखी जा रही है। कुछ लोग हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं और इसे गाजा में नरसंहार रोकने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि हड़ताल का उद्देश्य वेतन, सुरक्षा और काम के घंटों जैसे मुद्दों पर होना चाहिए, न कि राजनीतिक कारणों पर। कुछ यूजर्स ने चेतावनी दी है कि इसराइल को हथियार आपूर्ति रोकने से क्षेत्र में और युद्ध बढ़ सकता है।

निष्कर्ष
यह हड़ताल इटली में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय नीतियों को लेकर बढ़ती जागरूकता को बढ़ावा दे रही है। साथ ही, यह इसराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने का एक प्रयास भी है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर इटली सरकार और यूरोपीय संघ की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

यह भी पढ़ें: बिहार राजनीति में चला सियासी तीर, ‘9वीं फेल’ तेजस्वी पर प्रशांत किशोर का तंज, जनता की राय बंटी

यहां से शेयर करें