Stock Market: नई दिल्ली। रुपये की मजबूती, मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर्स में सुधार और मार्केट के आकर्षक वैल्यूएशन के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की रुचि एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार में लौटती हुई नजर आ रही है। इस महीने के आखिरी छह कारोबारी दिनों के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने स्टॉक मार्केट में करीब 31 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया। एफपीआई द्वारा किया गया ये निवेश भारतीय बाजार में सुधार आने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
Stock Market:
डिपॉजिटरी से मिली आंकड़ों के अनुसार मार्च के आखिरी 6 कारोबारी दिनों के दौरान एफपीआई द्वारा किए गए 30,927 करोड़ रुपये के निवेश के कारण उनके द्वारा मार्च के महीने में की गई कुल निकासी का आंकड़ा भी घटकर 3,973 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार में बिकवाली करके अपने पैसे की निकासी करने की वजह से स्टॉक मार्केट की स्थिति काफी कमजोर हो गई है। मार्च के पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से फरवरी महीने के दौरान 34,574 करोड़ रुपये की निकासी की थी, जबकि जनवरी में निकासी का ये आंकड़ा 78,027 करोड़ रुपये का था।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि मार्च के आखिरी दिनों में बाजार में आई तेजी के बावजूद घरेलू निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की आगे की चाल 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रिसिप्रोकल टैरिफ को आखिरी रूप देने के बाद पता चल सकेगी। अगर डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ को लेकर कड़ाई नहीं की जाती है, तो स्टॉक मार्केट की रैली जारी रह सकती है, लेकिन अगर टैरिफ पॉलिसी भारत के हितों के विपरीत रही तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक एक बार फिर बिकवाल की भूमिका में आ सकते हैं।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि लगातार 5 महीने से अधिक समय तक स्टॉक मार्केट में बिकवाली के बाद मार्च के आखिरी दिनों में खरीदारी करने की रणनीति अपना कर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अपनी भूमिका में बदलाव करने का संकेत दिया है। धामी का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार 27 सितंबर 2024 के अपने सर्वोच्च स्तर से करीब 16 प्रतिशत टूट चुका है। ऐसा होने की वजह से हाई वैल्यूएशन वाले कई शेयर अब निवेश के लिहाज से आकर्षक हो गए हैं। इसके साथ ही रुपये की कीमत में पिछले कुछ दिनों के दौरान आई 2 प्रतिशत से अधिक की मजबूती, जीडीपी ग्रोथ, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और रिटेल इन्फ्लेशन जैसे अनुकूल मैक्रोइकोनॉमिक संकेतकों की वजह से भी विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार के प्रति भरोसा लौटता हुआ नजर आ रहा है। अगर 2 अप्रैल को अमेरिका ने भारत के खिलाफ एकपक्षीय टैरिफ लगाने का फैसला नहीं किया, तो भारत में शेयर बाजार की रैली आगे भी जारी रह सकती है।