Sterilization of stray dogs news: दिल्ली नगर निगम (MCD) ने इस साल मार्च से अगस्त तक दिल्ली में 65,000 से अधिक आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया है। यह जानकारी MCD के हालिया आंकड़ों से सामने आई है, जो शहर में आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है।
MCD के अनुसार, यह अभियान पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियमों के तहत चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत कुत्तों को पकड़ा जाता है, उनकी नसबंदी और रेबीज-रोधी टीकाकरण किया जाता है, और फिर उन्हें उनकी मूल जगह पर वापस छोड़ दिया जाता है। इस साल जनवरी से जून तक 65,000 से अधिक कुत्तों को इस प्रक्रिया से गुजारा गया, और MCD का अनुमान है कि अप्रैल 2024 से दिसंबर 2025 तक लगभग 98,000 कुत्तों को कवर किया जाएगा।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने MCD की रणनीति को प्रभावित किया है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर स्थायी शेल्टर में रखने का निर्देश दिया गया है। इस आदेश के बाद MCD ने अपनी नसबंदी और टीकाकरण प्रक्रिया को धीमा कर दिया है, क्योंकि मौजूदा 20 ABC केंद्रों की क्षमता केवल 2,500 कुत्तों की है, जो शहर के अनुमानित 10 लाख आवारा कुत्तों की तुलना में बहुत कम है।
MCD ने इस चुनौती से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें एक समर्पित हेल्पलाइन शुरू करना शामिल है, जिसके जरिए लोग आक्रामक या खतरनाक कुत्तों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, MCD ने द्वारका और घोघा डेयरी में बड़े शेल्टर स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसमें घोघा डेयरी में 85 एकड़ का एक बड़ा शेल्टर प्रस्तावित है।
इस मुद्दे पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ राजनेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की है। उनका कहना है कि कुत्तों को हटाने के बजाय नसबंदी और टीकाकरण जैसे वैज्ञानिक तरीकों पर ध्यान देना चाहिए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस आदेश को “क्रूर और अल्पकालिक” करार देते हुए कहा कि इससे न केवल पशुओं के प्रति क्रूरता बढ़ेगी, बल्कि रेबीज का खतरा भी बढ़ सकता है।
MCD का कहना है कि वह इस समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बना रही है, जिसमें माइक्रोचिपिंग जैसी तकनीक का उपयोग भी शामिल है। प्रत्येक माइक्रोचिप की लागत 150-200 रुपये होगी, जो कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण इतिहास को ट्रैक करने में मदद करेगी।
दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को हल करने के लिए MCD और अन्य हितधारकों को मिलकर एक संतुलित और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि न केवल सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित हो, बल्कि पशु कल्याण को भी प्राथमिकता दी जाए।

