Delhi: देश में तेजी से बढ़ रहे निर्माण क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकीकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। बड़े पैमाने पर हो रहे बुनियादी ढांचा विकास के बीच, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा घटिया निर्माण उत्पादों को बाजार से बाहर करने के प्रयास तेज किए गए हैं। इस सबके बीच रीबार कप्लर इमारतों को बेजोड़ मजबूती देने का काम कर रहा है।
क्या कहती है नियामावली
इस दिशा में एक अहम नियामकीय बदलाव ऊँची इमारतों के लिए संशोधित कोड IS 16700:2023 है, जिसके तहत 20 मिमी और उससे अधिक व्यास के सरियों (रीबार) के लिए रीबार कप्लर का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रावधान पारंपरिक लैप स्प्लाइसिंग की जगह यांत्रिक रूप से परीक्षण किए गए स्प्लाइसिंग सिस्टम को बढ़ावा देता है, जिससे संरचनात्मक सुरक्षा में सुधार होता है।
इसी क्रम में, निर्माण क्षेत्र से जुड़ी उभरती हुई भारतीय MSME कंपनी एम/एस एसएनटीपी टेक्नोलॉजीज़ ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। कंपनी IS 16172:2023 के अनुरूप रीइन्फोर्समेंट/रीबार कप्लर के लिए BIS प्रमाणन और ISI मार्क लाइसेंस प्राप्त करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई है। यह मानक प्रबलित कंक्रीट संरचनाओं में प्रयुक्त यांत्रिक कप्लरों के प्रदर्शन, परीक्षण और गुणवत्ता आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि BIS-प्रमाणित उत्पाद आने वाले समय में सरकारी और बड़े निजी प्रोजेक्ट्स में अनिवार्य हो जाएंगे, जिससे मानकों का पालन करने वाली MSME कंपनियों की भूमिका और अधिक सशक्त होगी तथा निर्माण क्षेत्र गुणवत्ता-आधारित विकास की ओर तेज़ी से अग्रसर होगा।

