कश्मीर में हुआ सड़े मीट का कांड, रेस्टोरेंट बिजनेस को पहुंचाया भारी नुकसान, ग्राहको ने किया जाना बंद

Srinagar News: जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के बाद अब रेस्टोरेंट उद्योग को बड़ा झटका लगा है। सड़े और खराब मांस की आपूर्ति का एक बड़ा घोटाला सामने आने के बाद कश्मीर के रेस्टोरेंट्स में ग्राहकों की संख्या में 80 प्रतिशत तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस घोटाले ने न केवल स्थानीय रेस्टोरेंट व्यवसाय को हिलाकर रख दिया है, बल्कि लोगों के विश्वास को भी गहरा आघात पहुंचाया है।

खाद्य सुरक्षा विभाग की हालिया छापेमारी में श्रीनगर और आसपास के इलाकों में 12,000 किलोग्राम से अधिक सड़ा हुआ मटन, चिकन और मछली जब्त किया गया। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ रेस्टोरेंट्स और मांस आपूर्तिकर्ता न केवल खराब मांस बेच रहे थे, बल्कि कुत्ते और गधे के मांस की आपूर्ति की अफवाहों ने भी लोगों के गुस्से को भड़काया है। इन खबरों के बाद सोशल मीडिया पर #StaleMeatRow और #KashmirRestaurantCrisis जैसे हैशटैग्स के साथ लोगों ने रेस्टोरेंट्स के बहिष्कार की मांग शुरू कर दी।

रेस्टोरेंट व्यवसाय पर संकट
श्रीनगर के मशहूर खय्याम चौक और लाल चौक जैसे इलाकों में, जहां आमतौर पर रेस्टोरेंट्स में ग्राहकों की भीड़ रहती थी, अब सन्नाटा पसरा है। जम्मू-कश्मीर होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबर चौधरी ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में रेस्टोरेंट उद्योग को 250-300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, “यह घोटाला कुछ लोगों की गलती का नतीजा है, लेकिन इसका खामियाजा पूरे उद्योग को भुगतना पड़ रहा है। लोग अब बाहर खाने से डर रहे हैं।”

स्थानीय रेस्तरां मालिकों का कहना है कि ग्राहकों का भरोसा टूटने से कारोबार ठप हो गया है। श्रीनगर के एक कैफे मालिक जाहिद शाबान ने बताया, “पहले हमारे पास रोजाना 600 ग्राहक आते थे, लेकिन अब मुश्किल से 60 लोग आ रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो कई रेस्टोरेंट्स बंद होने की कगार पर हैं।”

खाद्य सुरक्षा विभाग और सरकार का एक्शन
इस घोटाले के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों का पालन अनिवार्य कर दिया गया है। नए नियमों के तहत बिना लेबल वाले पैक्ड फ्रोजन मीट की बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही, मांस के भंडारण के लिए तापमान मॉनिटरिंग डिवाइस और रिकॉर्ड रखना जरूरी कर दिया गया है। उल्लंघन करने वालों के लिए 2 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और 6 साल तक की सजा का प्रावधान है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से चार दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, सरकार ने लखनपुर में खाद्य गुणवत्ता जांच के लिए एक प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग को भी स्वीकार किया है।

लोगों में गुस्सा और अविश्वास
सड़े मांस की खबरों ने स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा किया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सड़कों पर फेंके गए सड़े मांस के ढेर ने लोगों को और भड़का दिया। श्रीनगर के निवासी समीर अहमद ने कहा, “हम अपने परिवारों की सेहत के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। अब हम रेस्टोरेंट्स में खाना खाने से पहले सौ बार सोचेंगे।” कुछ लोग अब शाकाहारी भोजन की ओर रुख कर रहे हैं, जबकि कई ने घर पर खाना बनाने को प्राथमिकता दी है।

टूरिज्म पर भी असर
कश्मीर का टूरिज्म सेक्टर पहले ही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले से प्रभावित था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। अब सड़े मांस का यह घोटाला पर्यटकों के भरोसे को और कम कर रहा है। पर्यटकों ने अपनी बुकिंग्स रद्द करनी शुरू कर दी हैं, जिससे होटल और रेस्टोरेंट उद्योग पर दोहरी मार पड़ रही है।

आगे की राह
रेस्टोरेंट मालिकों और उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि विश्वास बहाली के लिए सख्त नियमों के साथ-साथ पारदर्शिता जरूरी है। बाबर चौधरी ने सुझाव दिया कि सभी रेस्टोरेंट्स में मांस की गुणवत्ता और हलाल प्रमाणीकरण की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। साथ ही, सरकार को अवैध मांस आपूर्ति पर पूरी तरह रोक लगानी होगी।

इस घोटाले ने कश्मीर के रेस्टोरेंट उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह उद्योग और इससे जुड़े हजारों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।

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