GST festival: कॉमेडी की दुनिया में जीएसटी जैसी गंभीर विषय को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करना आसान नहीं, लेकिन एक स्टैंडअप आर्टिस्ट ने इसे बखूबी अंजाम दिया है। यूट्यूब पर उपलब्ध एक मजेदार वीडियो में, कलाकार ने ‘जीएसटी उत्सव’ के बहाने दर्शकों को खूब हंसाया, साथ ही जीएसटी व्यवस्था और ‘अच्छे दिनों’ के वादों पर तीखा कटाक्ष किया। यह परफॉर्मेंस न सिर्फ मनोरंजक है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े इन मुद्दों को आईना दिखाने वाली भी साबित हुई।
वीडियो का शीर्षक और कंटेंट स्टैंडअप मंच से सीधा जुड़ा हुआ है, जहां कलाकार कहते हैं, “ये है हम स्टैंडअप के मंच से आप सबको जीएसटी उत्सव के बहाने हंसाने… इस स्टैंडअप में हम बात करेंगे जीएसटी और अच्छे दिनों की। किसी की भावना को आहत करने का मकसद नहीं है, फिर भी हो रही हो तो क्या कर सकते हैं… धन्यवाद।” यह शुरुआती लाइन ही दर्शकों को हुक कर लेती है, क्योंकि इसमें विनोदी अंदाज के साथ ही एक ईमानदार डिस्क्लेमर है।
परफॉर्मेंस की शुरुआत जीएसटी के जटिल नियमों से होती है। कलाकार जीएसटी को ‘गुड एंड सर्विस टैक्स’ बताते हुए मजाक उड़ाते हैं कि यह टैक्स इतना जटिल है कि “एक रोटी खरीदने पर भी 18% टैक्स लग जाता है, और फिर सरकार कहती है अच्छे दिन आ गए!” वे दर्शकों से सवाल पूछते हैं कि क्या जीएसटी ने जीवन आसान बनाया या और उलझा दिया। एक जोक में वे कहते हैं, “पहले टैक्स सिर्फ इनकम पर लगता था, अब जीएसटी ने तो सांस लेने पर भी टैक्स लगा दिया – ऑक्सीजन पर 12%!” यह लाइन दर्शकों को ठहाकों पर मजबूर कर देती है, क्योंकि यह आम आदमी की फिक्र को बखूबी बयां करती है।
फिर बात घूमती है ‘अच्छे दिनों’ की ओर, जो 2014 के चुनावी वादों का हिस्सा था। कलाकार व्यंग्य करते हुए कहते हैं, “अच्छे दिन कब आएंगे? जीएसटी आने से पहले अच्छे दिन थे, अब तो बिल ही अच्छे दिन दिखा रहा है!” वे महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक नीतियों पर तंज कसते हैं, लेकिन ऐसा बिना किसी पक्षपात के। एक हिस्से में वे हंसाते हुए कहते हैं, “अच्छे दिन आ गए हैं, बस इतना पता नहीं कि कौन से दिन अच्छे हैं – सोमवार या रविवार?” यह जोक न सिर्फ रिलेटेबल है, बल्कि राजनीतिक बहस को भी हल्का बनाता है।
स्टैंडअप की खासियत यह है कि यह किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचता है। कलाकार स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मकसद सिर्फ हंसाना है, न कि आहत करना। फिर भी, अगर कोई भावुक हो जाए, तो “क्या कर सकते हैं?” – यह लाइन परफॉर्मेंस का हाइलाइट बन जाती है। वीडियो की लंबाई छोटी-सी है, लेकिन इसका असर लंबा। अपलोड होने के बाद से यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, खासकर टैक्स पेयर्स और युवाओं के बीच।
यह स्टैंडअप न सिर्फ कॉमेडी का बेहतरीन नमूना है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर सोचने को मजबूर भी करता है। अगर आप जीएसटी के बिलों से परेशान हैं या अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं, तो यह वीडियो जरूर देखें। लिंक: https://youtu.be/_akl9S8-I5Q। हंसते-हंसते शायद आपको भी लगे कि अच्छे दिन तो अभी भी हैं – कम से कम कॉमेडी के तो!

