इस प्रक्रिया के लिए राज्य में 80,600 से अधिक बूथ लेवल अधिकारी (BLO), 8,000 पर्यवेक्षक, 3,000 सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और 294 निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी तैनात हैं। BLO घर-घर जाकर फॉर्म वितरित और सत्यापन कर रहे हैं। आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए उठाया गया है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों से पहले। हालांकि, BLOs पर अत्यधिक दबाव के कारण कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
इस खबर ने राजनीतिक दलों के बीच बहस छेड़ दी है। भाजपा ने इसे मतदाता सूची में ‘फर्जीवाड़े’ का सबूत बताते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार पर निशाना साधा है, जबकि TMC ने निर्वाचन आयोग पर BLOs को ‘जलाने’ का आरोप लगाया है।
भाजपा के प्रदेश नेताओं ने इसे ‘चुनावी सफाई अभियान’ का हिस्सा बताया। भाजपा सांसद सुवेंदु अधिकारी, जो विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने हाल ही में SIR प्रक्रिया के दौरान डुप्लिकेट एंट्रीज और उम्र संबंधी विसंगतियों के सबूत पेश किए। 18 नवंबर को उन्होंने कहा कि भाजपा SIR को ‘निष्पक्ष’ बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाना जरूरी है। अधिकारी ने एक मामले में मां को अपने बेटे से 11 साल छोटा दिखाने का हवाला देते हुए ‘व्यापक धांधली’ का आरोप लगाया। उन्होंने TMC पर SIR प्रक्रिया को बदनाम करने का भी इल्जाम लगाया। 4 नवंबर को एक बयान में उन्होंने कहा, “TMC SIR को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम भारतीय मुसलमानों को आश्वस्त कर चुके हैं कि यह प्रक्रिया उनके हित में है।”
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की TMC ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने BLOs पर ‘अत्यधिक दबाव’ का हवाला देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) पर हमला बोला। 23 नवंबर को TMC ने BLOs के ‘बर्नआउट’ की शिकायत की, जिसमें एक BLO की बीमारी का जिक्र किया गया। ममता बनर्जी ने हाल ही में SIR फॉर्म भरने से इनकार करते हुए कहा था कि वे तब तक फॉर्म नहीं भरेंगी जब तक पूरे बंगाल के सभी नागरिक न भर लें। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स को ‘झूठा प्रचार’ बताते हुए खारिज किया, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने BLO से व्यक्तिगत रूप से फॉर्म लिया है।
सुवेंदु अधिकारी ने BLOs पर दबाव के आरोपों को खारिज करते हुए ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया। 25 नवंबर को उन्होंने कहा, “BLOs पर कोई दबाव नहीं है। जो चुनाव आयोग में बैठकर चिल्ला रहे हैं, वे BLOs नहीं हैं। बिहार में SIR के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटर दिए गए, लेकिन यहां नहीं। इसके लिए ममता बनर्जी पूरी तरह जिम्मेदार हैं।”
SIR का संदर्भ
SIR प्रक्रिया 19 नवंबर से शुरू हुई थी, लेकिन वितरण में देरी के कारण 15 नवंबर तक 22 लाख फॉर्म अनुपलब्ध थे। आयोग ने 99% से अधिक फॉर्म वितरित करने का दावा किया है। BLOs ने मुख्य निर्वाचन कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया, जिसमें अतिरिक्त काम के दबाव की शिकायत की गई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया आगामी चुनावों में TMC की ‘मजबूत पकड़’ को चुनौती दे सकती है, खासकर डुप्लिकेट वोटरों के हटने से। आयोग ने कहा है कि यह संख्या और बढ़ सकती है, जो मतदाता सूची की सफाई का संकेत देती है।

