ईसीआई के अनुसार, यह विस्तार सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि कोई भी योग्य मतदाता पीछे न छूट जाए। पहले संशोधित कार्यक्रम के तहत इन छह राज्यों-केंद्रशासित प्रदेश में गणना अवधि (एन्यूमरेशन पीरियड) 11 दिसंबर तक थी, जबकि प्रारंभिक मतदाता सूची (ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल) का प्रकाशन 16 दिसंबर को निर्धारित था। अब नए कार्यक्रम में:
• तमिलनाडु और गुजरात: SIR रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा 14 दिसंबर से बढ़ाकर 19 दिसंबर 2025 (शुक्रवार) कर दी गई है।
• उत्तर प्रदेश: रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा 26 दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 (बुधवार) की गई है।
• अन्य राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान एवं निकोबार) के लिए भी एक सप्ताह का विस्तार किया गया है, हालांकि विशिष्ट तिथियां अभी स्पष्ट नहीं की गईं।
प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन सभी राज्यों में 16 दिसंबर को ही होगा, जबकि केरल में यह 23 दिसंबर को होगा। अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन फरवरी 2026 में होने की संभावना है। ईसीआई ने अपील की है कि नए मतदाता फॉर्म-6 भरकर बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) को जमा करें या ईसीआई नेट ऐप/वेबसाइट (https://voters.eci.gov.in/) के माध्यम से ऑनलाइन सबमिट करें।
बंगाल में सख्ती, कोई विस्तार नहीं
पश्चिम बंगाल में SIR अभियान के तहत फॉर्म जमा करने और डिजिटलीकरण की अंतिम समयसीमा आज (11 दिसंबर) आधी रात तक है। राज्य में अब तक 57,52,207 मतदाताओं को बहिष्कार योग्य पाया गया है, जिनमें 24,14,750 मृत, 19,89,914 स्थानांतरित, 11,57,889 अनुपस्थित और शेष डुप्लिकेट या अन्य कारणों से शामिल हैं। 27 अक्टूबर 2024 की मतदाता सूची के अनुसार राज्य में कुल 7,66,37,529 मतदाता हैं।
SIR अभियान 4 नवंबर 2025 से शुरू हुआ था, और प्रारंभिक सूची 16 दिसंबर को तथा अंतिम सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी। ईसीआई ने स्पष्ट किया है कि बंगाल में विस्तार न देने का फैसला प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए लिया गया है, खासकर विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले।
SIR अभियान का उद्देश्य और चुनौतियां
विशेष गहन संशोधन (SIR) का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूचियों को साफ-सुथरा बनाना है, जिसमें मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित या डुप्लिकेट नामों को हटाया जाता है। यह अभियान 2002-2004 के बाद पहली बार पूरे पैमाने पर चलाया जा रहा है। चरण-दो में 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (अंडमान एवं निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुदुच्चेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में यह चल रहा है।
हालांकि, अभियान के दौरान कथित अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई हैं, जैसे मृत मतदाताओं के नाम पर फॉर्म भरना, अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों द्वारा फर्जी दावे और मृत बीएलओ के लॉगिन क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग। इसके अलावा, कुछ राज्यों में बीएलओ की कठिन परिस्थितियों के कारण 12 से अधिक मौतें भी दर्ज की गई हैं, जिससे विवाद और बढ़ गया है।
ईसीआई ने जोर दिया है कि यह संशोधन पारदर्शी और समावेशी है, ताकि आगामी चुनावों में कोई योग्य मतदाता वंचित न रहे। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट eci.gov.in पर जाएं।

