Shri Vrindavan Dham News: वायरल वीडियो में संत प्रेमानंद महाराज ने कहा, “अगर कोई युवक 4 लड़कियों से संबंध बनाता है, तो वह अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रह पाएगा, क्योंकि उसे व्यभिचार की आदत लग चुकी होती है। इसी तरह, जो लड़की 4 पुरुषों से संबंध बना चुकी है, उसके अंदर एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं रहती।” उन्होंने आगे कहा, “100 में से मुश्किल से दो-चार कन्याएं ही ऐसी होती हैं, जो पवित्र जीवन जीकर किसी एक पुरुष को समर्पित होती हैं।”
सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने इस बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि इस तरह के बयान महिलाओं के प्रति नकारात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं और समाज में लैंगिक समानता को कमजोर करते आ रहे है । एक कार्यकर्ता ने कहा, “आज का युवा स्वतंत्र सोच के साथ रिश्तों को परिभाषित कर रहा है। चरित्र का मूल्यांकन केवल यौन संबंधों के आधार पर नहीं किया जा सकता।”
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने संत प्रेमानंद महाराज के एक विवादास्पद बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। राजभर ने कहा कि वे संत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हैं और महिलाओं को देश की आधी आबादी बताते हुए उनकी ताकत और योगदान की सराहना भी की।
राजभर ने अपने बयान में कहा, “देखिए, हम उनकी बात से सहमत नहीं हैं। आज आधी आबादी महिलाओं की है। आधी आबादी से ही देखिए, देश की सर्वोच्च कुर्सी पर राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी बैठी हैं। भारत की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी बैठी थीं। प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मायावती जी बैठी थीं। तो इनके पास सरस्वती कहां है? लक्ष्मी कहां है? दुर्गा का नाम क्या है? सारी ताकत तो महिलाओं के पास है, और आप उन पर उंगली उठा रहे हैं। भाई, हम आपकी बात से सहमत नहीं हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाएं न केवल समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि देश और प्रदेश के शीर्ष पदों पर अपनी योग्यता साबित कर चुकी हैं। राजभर का यह बयान संत प्रेमानंद महाराज के उस कथित बयान के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने महिलाओं को लेकर कुछ विवादास्पद टिप्पणी की थी।
यह पहली बार नहीं है जब ओम प्रकाश राजभर ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी हो। इससे पहले भी वे कई बार सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती के अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटाने के फैसले का समर्थन किया था। राजभर ने तब कहा था कि मायावती अपनी पार्टी को अपने हिसाब से चलाने के लिए स्वतंत्र हैं।
इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोग राजभर के बयान को महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का संदेश मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे एक राजनीतिक रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। फिलहाल, इस मुद्दे पर संत प्रेमानंद महाराज की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश में पहले भी कई बार बहस छिड़ चुकी है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी हाल ही में महिला सुरक्षा को लेकर सरकारों की नीयत और नीति पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाएं चिंताजनक हैं और सरकारों को इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है।
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