CJI सूर्य कांत ने सुनवाई के दौरान remarked, “दिन में 12 बजे मंदिर बंद होने के बाद ये देवता को एक मिनट के लिए भी विश्राम नहीं करने देते। उस समय सबसे ज्यादा उन्हें परेशान किया जाता है और मोटी फीस लेकर धनी लोगों के लिए स्पेशल पूजा करवाई जाती है।” कोर्ट ने इसे “देवता का शोषण” करार देते हुए पूछा कि अमीरों के लिए भगवान के आराम में दखल क्यों दिया जाता है।
यह टिप्पणियां मंदिर के सेवायतों (गोस्वामी समुदाय) की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आईं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी के फैसलों को चुनौती दी गई है। कमेटी ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दर्शन का समय रोजाना ढाई घंटे बढ़ाया है, लेकिन सेवायतों का कहना है कि इससे पारंपरिक आंतरिक पूजा विधान और ‘देहरी पूजा’ प्रभावित हो रही है।
बेंच में CJI सूर्य कांत के अलावा जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचौली शामिल थे। कोर्ट ने हाई पावर कमेटी, उत्तर प्रदेश सरकार, मथुरा जिलाधिकारी और वृंदावन विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में गठित कमेटी ने सितंबर 2025 में मंदिर में आम VIP दर्शन और पर्ची व्यवस्था पर रोक लगा दी थी, ताकि सभी श्रद्धालुओं को समान अवसर मिले। हालांकि, बंद होने के बाद की विशेष पूजा पर कोर्ट की यह ताजा टिप्पणी मंदिर प्रबंधन में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

