शास्त्री महाराज ने कथा स्थल पर पहुंचे सैकड़ों भक्तों और मीडिया से बातचीत में कहा, “हम इस देश को गजवा-ए-हिंद नहीं होने देंगे। हमें इसे भगवा हिंद बनाना है। इसके लिए हमें संसद में जाने की कोई जरूरत नहीं है।” उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि कम से कम चार संतान पैदा करें, ताकि सनातन धर्म की रक्षा हो सके। उनका तर्क था कि संख्या बढ़ेगी तभी हिंदू समाज मजबूत बनेगा। एक बच्चे को देश सेवा के लिए, दूसरे को साधु-संत बनने के लिए समर्पित करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “दो बच्चे अपने पास रखें, एक राष्ट्र सेवा को दें और एक धर्म रक्षा के लिए।”
शिवपुरी के करैरा क्षेत्र में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा में हजारों श्रद्धालु जुटे हुए हैं। कलश यात्रा के साथ शुरू हुई इस कथा में शास्त्री ने सेक्युलरिज्म पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “कुछ सेक्युलर हिंदू कहते हैं- ना बच्चा, ना बच्ची, जिंदगी कटे अच्छी। यह सोच हिंदू भविष्य को नष्ट कर रही है।” इसके अलावा, उन्होंने सोशल मीडिया को “सोशल जिहाद” करार देते हुए युवाओं को सावधान रहने की नसीहत दी।
शास्त्री ने शिक्षा प्रणाली में गीता, भागवत और रामायण को शामिल करने की मांग भी उठाई। उनका कहना था कि पाठ्यक्रम में ये ग्रंथ जोड़े जाएं तो युवा सही दिशा पा सकेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे न तो राजनीति में उतरने वाले हैं और न ही किसी पार्टी का समर्थन करेंगे। यह पदयात्रा केवल सनातन एकता के लिए है।
बयान पर प्रतिक्रियाएं
शास्त्री के बयान ने X (पूर्व ट्विटर) पर तहलका मचा दिया। एक पोस्ट में हजारों व्यूज के साथ कहा गया, “शिवपुरी में पत्रकारों से चर्चा में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब चच्चे के तीस बच्चे हो सकते हैं तो हिंदुओं के चार क्यों नहीं।” समर्थकों ने इसे हिंदू जागरण का संदेश बताया, जबकि आलोचकों ने इसे साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाला करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “यह बयान हिंदुत्व की मजबूती का प्रतीक है, लेकिन समाज को बांटने का खतरा भी।” राजनीतिक दलों से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्षी नेता इसे “ध्रुवीकरण की राजनीति” बता रहे हैं।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जो बागेश्वर धाम के प्रमुख हैं, अक्सर अपने बयानों से सुर्खियां बटोरते रहे हैं। पिछले महीनों भी उन्होंने हिंदू आबादी पर चिंता जताई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान जनसंख्या नीति पर राष्ट्रीय बहस को नई दिशा दे सकता है। कथा 3 दिसंबर तक चलेगी, जहां और भी महत्वपूर्ण संदेश सुनने को मिल सकते हैं।

