धनबाद में जातीय भेदभाव का शर्मनाक मामला, दलित दुकानदार की चाय पीने से इनकार, परिवार ने प्रशासन के सामने धरना दिया

Dhanbad Dalit News: झारखंड के धनबाद जिले में एक दलित दुकानदार के साथ जातीय भेदभाव का एक दर्दनाक मामला सामने आया है, जो समाज में व्याप्त जातिवाद की कड़वी सच्चाई को बेनकाब करता है। स्थानीय चाय की दुकान पर तीन ग्राहकों ने दुकानदार की जाति जानने के बाद चाय पीने से साफ इनकार कर दिया। इस घटना ने न केवल पीड़ित परिवार को आहत किया, बल्कि पूरे समाज में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।

घटना धनबाद के एक व्यस्त बाजार क्षेत्र में हुई, जहां 35 वर्षीय दलित दुकानदार रामेश्वर पासवान अपनी छोटी सी चाय की दुकान चला रहे थे। रामेश्वर, जो दैनिक मजदूरी के साथ-साथ चाय बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते हैं, ने बताया कि तीन युवक दुकान पर आए और चाय का ऑर्डर दिया। चाय बनने के बाद जब उन्होंने दुकानदार से बात की, तो रामेश्वर की जाति जानने पर उन्होंने न केवल चाय का पैसा देने से मना कर दिया, बल्कि अपमानजनक टिप्पणियां भी कीं। एक ग्राहक ने कथित तौर पर कहा, “नीची जाति के हाथ की चाय हम नहीं पी सकते।” यह सुनते ही रामेश्वर स्तब्ध रह गए, लेकिन उन्होंने शांति बनाए रखी।

इस अपमान के बाद रामेश्वर के परिवार ने तत्काल जिला प्रशासनिक कार्यालय के सामने धरना दे दिया। “न्याय चाहिए” के बैनर के नीचे परिवार के सदस्यों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें स्थानीय दलित संगठनों के सदस्य भी शामिल हुए। रामेश्वर की पत्नी सुनीता पासवान ने रोते हुए कहा, “हमारा परिवार सालों से मेहनत से जी रहा है। जाति के नाम पर ऐसा अपमान असहनीय है। प्रशासन से मांग है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।” परिवार ने जिला मजिस्ट्रेट को लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने और आरोपी ग्राहकों की गिरफ्तारी की मांग की गई है।

जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। डीएम अनुराग पटेल ने बताया कि एसपी को निर्देश दिए गए हैं कि सभी पक्षों से पूछताछ कर जांच पूरी की जाए। “जातीय भेदभाव किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी,” उन्होंने कहा। स्थानीय पुलिस ने भी घटनास्थल का दौरा किया और गवाहों के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं।

यह घटना भारत में 2025 में भी जारी जातीय भेदभाव की समस्या को उजागर करती है। हाल ही में राजस्थान के चूरू में भी एक समान मामला सामने आया था, जहां एक ग्राहक ने दलित दुकानदार की चाय पीने से इनकार कर दिया था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में एससी-एसटी के खिलाफ अपराधों में 10% से अधिक वृद्धि हुई है, जिसमें दैनिक जीवन में भेदभाव के मामले प्रमुख हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं दलित समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास हैं।
दलित अधिकार संगठन ‘डालिट टाइम्स’ ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना के विरुद्ध है। संगठन ने सोशल मीडिया पर #JusticeForDalits अभियान चलाया है, जिसमें हजारों लोग शामिल हो रहे हैं। रामेश्वर के परिवार ने अपील की है कि समाज को जातिवाद से ऊपर उठना चाहिए।

यह मामला न केवल धनबाद तक सीमित है, बल्कि पूरे देश में जातीय समानता के लिए एक जागृति का संदेश देता है। प्रशासन की जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।

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