Shahrukh Khan News: शाहरुख़ ख़ान का नाम आते ही जहन में कुछ कुछ होता है। हालाकि उन्हें प्यार से ष्बॉलीवुड के बादशाहष् किंग ख़ानष् या ष्किंग ऑफ़ रोमांसष् कहा जाता है। भारतीय सिनेमा के सबसे प्रभावशाली और सफल अभिनेताओं में से एक हैं। उनका करियर दशकों तक फैला हुआ है और उन्होंने अपनी अदाकारी, करिश्मा और दर्शकों के साथ गहरे जुड़ाव से करोड़ों दिलों पर राज किया है। दिल्ली के मध्यम वर्गीय परिवार से आकर, बिना किसी फ़िल्मी पृष्ठभूमि के, शाहरुख़ ने जो मुकाम हासिल किया है। वह किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
शाहरुख़ ख़ान की शुरुआत और सफलता की सीढ़ियाँ
शाहरुख़ ख़ान ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक के अंत में टीवी धारावाहिकों से की, जिनमें “फ़ौजी” (1989) और “सर्कस” (1989-90) प्रमुख हैं। इन धारावाहिकों में उनकी सहज अदाकारी ने लोगों का ध्यान खींचा। 1992 में फ़िल्म “दीवाना” से उन्होंने बड़े पर्दे पर कदम रखा। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और उन्हें सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला, जो उनके शानदार करियर की नींव साबित हुई। शुरुआती दौर में उन्होंने कई ऐसी फ़िल्में कीं जिनमें उन्होंने नकारात्मक भूमिकाएं निभाईं, जैसे “डर” (1993), “बाज़ीगर” (1993) और “अंजाम” (1994)। इन फ़िल्मों में उनकी इन भूमिकाओं ने दर्शकों को चौंका दिया और यह दिखाया कि वे सिर्फ़ नायक की भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं।
रोमांस के किंग का ताज
1995 में आई “दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे” (DDLJ) ने शाहरुख़ ख़ान के करियर को एक नई दिशा दी और उन्हें ‘किंग ऑफ़ रोमांस’ का खिताब दिलाया. आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित और सफल फ़िल्मों में से एक बन गई, जो आज भी मुंबई के मराठा मंदिर थिएटर में चल रही है। इस फ़िल्म ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
इसके बाद उन्होंने कई रोमांटिक और फैमिली ड्रामा फ़िल्मों में काम किया जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की:
- “दिल तो पागल है” (1997)
- “कुछ कुछ होता है” (1998)
- “कभी खुशी कभी ग़म…” (2001)
- “वीर-ज़ारा” (2004)
- “कभी अलविदा ना कहना” (2006)
इन फ़िल्मों में उनकी रोमांटिक इमेज ने उन्हें घर-घर का पसंदीदा बना दिया।
बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन
रोमांटिक भूमिकाओं के अलावा, शाहरुख़ ने विभिन्न शैलियों की फ़िल्मों में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया:
- “स्वदेस” (2004): आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में उन्होंने एक प्रवासी भारतीय वैज्ञानिक की भूमिका निभाई, जिसे अपनी जड़ों की ओर लौटना पड़ता है. यह फ़िल्म समीक्षकों द्वारा खूब सराही गई।
- “चक दे! इंडिया” (2007): इस फ़िल्म में उन्होंने एक महिला हॉकी टीम के कोच की भूमिका निभाई, जो भारतीय खेल जगत में एक प्रेरणादायक कहानी बनी।
- “माई नेम इज़ ख़ान” (2010): करण जौहर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में उन्होंने एस्पर्जर सिंड्रोम से पीड़ित एक व्यक्ति का किरदार निभाया, जिसने उनकी अभिनय क्षमता को एक नए स्तर पर पहुंचाया।
- “रईस” (2017): इस फ़िल्म में उन्होंने एक गैंगस्टर की भूमिका निभाई, जो उनकी डार्क और इंटेंस परफॉरमेंस के लिए सराही गई।
Shahrukh Khan News
2023 में ज़बरदस्त वापसी
एक छोटे अंतराल के बाद, शाहरुख़ ख़ान ने 2023 में ज़बरदस्त वापसी की। “पठान” (2023) के साथ उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया, जिसने उन्हें एक एक्शन स्टार के रूप में भी स्थापित किया। यह फ़िल्म बॉलीवुड की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्मों में से एक बन गई. इसके बाद “जवान” (2023) ने भी बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की और उनकी स्टारडम को एक बार फिर बुलंदियों पर पहुंचाया। हाल ही में रिलीज़ हुई “डंकी” (2023) ने भी दर्शकों का दिल जीता और शाहरुख़ की अभिनय यात्रा में एक और सफल अध्याय जोड़ा।
व्यक्तिगत जीवन और पहचान
शाहरुख़ ख़ान सिर्फ़ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक सफल निर्माता (रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट), उद्यमी और एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और फ्रांस सरकार द्वारा ऑर्ड्रे डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस और लीजन ऑफ़ ऑनर सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
उनकी सफलता की कहानी सिर्फ़ प्रतिभा और कड़ी मेहनत की नहीं, बल्कि अपने दर्शकों के साथ एक गहरे भावनात्मक संबंध की भी है। उनकी हाज़िरजवाबी, विनम्रता और अपने काम के प्रति जुनून ने उन्हें न केवल एक सुपरस्टार बल्कि एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है, जिसे करोड़ों लोग प्यार और सम्मान करते हैं। आज भी, जब शाहरुख़ ख़ान का नाम आता है, तो उनके प्रशंसकों के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है, जो उनके बेमिसाल करियर और भारतीय सिनेमा पर उनके अमिट प्रभाव का प्रमाण है। शाहरुख़ ख़ान का सफ़र अभी भी जारी है, और उनके प्रशंसक हमेशा उनकी अगली फ़िल्म का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं. उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर आप में लगन और मेहनत करने का जज़्बा हो, तो आप किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

