शाह बानो बेगम की बेटी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर की याचिका, फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर रोक की उठाई मांग

Madhya Pradesh High Court/Shah Bano Begum News: ऐतिहासिक शाह बानो केस से प्रेरित बॉलीवुड फिल्म ‘हक’ की रिलीज को लेकर कानूनी विवाद तेज हो गया है। शाह बानो बेगम की बेटी और कानूनी वारिस सिद्दीक्वा बेगम ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म की रिलीज पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फिल्म में उनकी मां की निजी जिंदगी का अनधिकृत चित्रण किया गया है, बिना परिवार की सहमति के। फिल्म 7 नवंबर को रिलीज होने वाली है, जिसमें यामी गौतम और इमरान हाशमी मुख्य भूमिकाओं में हैं।

हाईकोर्ट में दायर याचिका (डब्ल्यूपी नंबर 42708/2025) में सिद्दीक्वा बेगम ने केंद्र सरकार, फिल्म निर्माताओं और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को पक्षकार बनाया है। याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता के वकील तौसीफ वसी ने बताया, “फिल्म में शाह बानो की निजी जिंदगी, पारिवारिक घटनाओं और संवेदनशील पहलुओं को बिना अनुमति के दिखाया गया है। यह गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। हमने पहले ही लीगल नोटिस जारी किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।” वसी ने कहा कि फिल्म मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है और शरिया कानून को गलत और स्त्री-विरोधी तरीके से पेश करती है।

शाह बानो केस का संक्षिप्त इतिहास
शाह बानो बेगम का मामला भारत के कानूनी इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। 1978 में इंदौर की रहने वाली 62 वर्षीय शाह बानो ने अपने पति मोहम्मद अहमद खान से गुजारा भत्ता मांगते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। खान एक प्रमुख वकील थे और 1932 में शाह बानो से शादी के बाद उनके पांच बच्चे हुए थे। 1978 में तलाक के बाद शाह बानो ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता मांगा। स्थानीय कोर्ट ने 25 रुपये मासिक और हाईकोर्ट ने 179 रुपये मासिक निर्धारित किया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां 1985 में पांच जजों की बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 125 सभी नागरिकों पर लागू होता है, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं। शाह बानो को गुजारा भत्ता मिलना तय हुआ।

हालांकि, इस फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया। राजनीतिक दबाव में 1986 में राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इस केस ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी।

फिल्म ‘हक’ का विवाद
फिल्म ‘हक’ का निर्देशन सुपर्ण वर्मा ने किया है, जबकि इसे जंगली पिक्चर्स और बावेजा स्टूडियोज ने प्रोड्यूस किया है। इसमें यामी गौतम शाह बानो की भूमिका में हैं, जबकि इमरान हाशमी उनके पति का किरदार निभा रहे हैं। ट्रेलर रिलीज के बाद ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। सिद्दीक्वा ने अक्टूबर में ही लीगल नोटिस जारी किया था, जिसमें फिल्म की रिलीज, प्रचार और स्क्रीनिंग पर रोक की मांग की गई। नोटिस में कहा गया, “फिल्म में शाह बानो की निजी जिंदगी का व्यावसायिक उपयोग अनधिकृत है, जो मानहानि और पर्सनालिटी राइट्स का उल्लंघन करता है।”

निर्माताओं ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इमरान हाशमी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि फिल्म संतुलित दृष्टिकोण रखती है और वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, लेकिन यह कोई सीधी बायोपिक नहीं है। यामी गौतम ने इसे “जीवन भर की भूमिका” बताया था।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। वकील हर्ष कुमार ने पोस्ट किया, “शाह बानो की बेटी ने मां की पहचान के बिना अनुमति के उपयोग का विरोध किया है।” बार एंड बेंच ने हाईकोर्ट की सुनवाई की जानकारी साझा की, जबकि लाइव लॉ ने याचिका का पूरा टाइटल उल्लेख किया। एक यूजर ने लिखा, “यह केस ट्रिपल तलाक के खिलाफ पहली आवाज था, लेकिन अब परिवार ही रोक रहा है।” कई पोस्ट में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर बहस छिड़ी है।

वकील तौसीफ वसी ने एएनआई को बताया, “शाह बानो ने पहली बार मुस्लिम महिला के रूप में गुजारा भत्ता के लिए लड़ाई लड़ी और जीती। लेकिन फिल्म में निजी विवरणों का खुलासा गोपनीयता का उल्लंघन है।”

यह विवाद फिल्म उद्योग में वास्तविक घटनाओं पर आधारित कहानियों के नैतिक और कानूनी पहलुओं पर सवाल खड़े कर रहा है। हाईकोर्ट का फैसला तय करेगा कि ‘हक’ रिलीज हो पाएगी या नहीं।

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