किन्नर अखाड़े में सनसनीखेज टूट: महामंडलेश्वर टीना मां ने दिया इस्तीफा, बोलीं- ‘अखाड़ा मूल रास्ते से भटक गया’

Mahamandaleshwar Tina Maa resigns from the Kinnar Akhara. News: प्रयागराज महाकुंभ 2025 की धूम अभी थम भी नहीं पाई थी कि किन्नर अखाड़े में एक नया विवाद ने तूल पकड़ लिया है। महाकुंभ के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने इस अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा कि किन्नर अखाड़ा उस मूल उद्देश्य से भटक गया है, जिसकी स्थापना के लिए यह बनाया गया था। यह घटना बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी से जुड़े पुराने विवादों को फिर से हवा दे रही है, जिसने अखाड़े की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

टीना मां, जो उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य भी हैं, ने एक समाचार पत्र को विशेष बातचीत में कहा, “मैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर रही हूं। लेकिन कुछ समय से यह अखाड़ा उस रास्ते से भटक गया है, जिसके लिए यह स्थापित किया गया था। किन्नर समाज की सेवा और धार्मिक परंपराओं को मजबूत करने का उद्देश्य अब पीछे छूट गया लगता है।”

उनका यह इस्तीफा अखाड़े के आंतरिक कलह को उजागर करता है, जो महाकुंभ के दौरान ममता कुलकर्णी की नियुक्ति से शुरू हुआ था।

याद रहे, जनवरी 2025 में महाकुंभ के दौरान ही पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर पद पर आसीन किया गया था। उन्हें ‘यमाई ममता नंद गिरि’ नाम दिया गया और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पट्टाभिषेक किया। ममता ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई, पिंडदान किया और 25 साल की तपस्या का हवाला देते हुए संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा था, “मैं बचपन से साध्वी हूं और हमेशा रहूंगी। बॉलीवुड को 25 साल पहले ही छोड़ चुकी हूं।” किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर टीना मां ने ही उस समय ममता की नियुक्ति की पुष्टि की थी।

हालांकि, ममता की नियुक्ति पर तुरंत विवाद भड़क उठा। किन्नर कथावाचक हिमांगी सखी और ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जैसे संतों ने कड़ी आपत्ति जताई।

उन्होंने सवाल उठाया कि एक सामान्य स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है, जो मूल रूप से तीसरे लिंग के संतों के लिए है। इसके अलावा, ममता ने पद के बदले 2 लाख रुपये मांगे जाने का आरोप भी लगाया। विवाद बढ़ने पर किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने फरवरी 2025 में ममता को महामंडलेश्वर पद से निष्कासित कर दिया। उनके साथ ही आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी पद से हटा दिया गया। अजय दास ने कहा था, “अखाड़े का पुनर्गठन होगा और नए आचार्य महामंडलेश्वर का ऐलान जल्द किया जाएगा।”

ममता ने निष्कासन के बाद 10 फरवरी को इंस्टाग्राम पर वीडियो जारी कर औपचारिक इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा, “मां चंडी ने मुझे संकेत दिया है कि इन सब चीजों से बाहर निकलना चाहिए। किन्नर अखाड़े और अन्य संतों के बीच मेरी नियुक्ति को लेकर दिक्कत हो रही है। मैं साध्वी हूं और साध्वी ही रहूंगी।” इस घटना ने अखाड़े की आंतरिक एकता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया।

अब टीना मां के इस्तीफे से मामला और जटिल हो गया है। जानकारों का मानना है कि ममता विवाद ने अखाड़े के मूल सिद्धांतों को प्रभावित किया, जिससे कई वरिष्ठ सदस्य नाराज हो गए। प्रयागराज के सेक्टर 16 में स्थित किन्नर अखाड़ा, जो महाकुंभ में पहली बार 2019 में स्थापित हुआ था, समाज सेवा और धार्मिक आयोजनों के लिए जाना जाता है। लेकिन हाल के घटनाक्रमों से इसकी छवि पर बट्टा लग गया लगता है।

किन्नर समाज के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अखाड़ा किन्नरों की गरिमा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बना था, लेकिन बॉलीवुड और विवादों का घालमेल इसे कमजोर कर रहा है।” फिलहाल, अखाड़ा प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह टूट अखाड़े के पुनर्गठन की दिशा में एक नया मोड़ ला सकता है।

महाकुंभ 2025 की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि धार्मिक संस्थाओं में आधुनिकता और परंपरा का टकराव कितना गहरा हो सकता है। किन्नर समाज की दशा-दुर्दशा पर बहस छिड़ गई है, और उम्मीद है कि जल्द ही कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा।

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