पुलिस के अनुसार, मंगलवार को हिडमा के साथ मारे गए लोगों में उसकी पत्नी मड़कम राजे, स्टेट ज़ोनल कमिटी सदस्य देवे, लकमल, मल्ला और कामलू शामिल थे। मुठभेड़ के दौरान कुछ माओवादी भागने में कामयाब हो गए थे। बुधवार को मारे गए 6 माओवादियों में वे ही भागे हुए सदस्य हो सकते हैं।
50 माओवादियों की गिरफ़्तारी
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) महेश चंद्र लड्ढा ने बताया कि अब तक कुल 50 माओवादियों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इनमें से 27 हिडमा की अपनी बटालियन (प्लाटून नंबर-1) के हैं, जबकि बाक़ी दक्षिण बस्तर के विभिन्न बटालियनों से हैं। ये सभी छत्तीसगढ़ से भागकर विजयवाड़ा, कृष्णा, एनटीआर और काकिनाड़ा ज़िलों में छिपे हुए थे।
ADGP लड्ढा ने कहा,
“हमें पहले से ही इनकी लोकेशन की ख़बर थी, लेकिन अगर हम पहले छापा मारते तो हिडमा को अलर्ट मिल जाता और मंगलवार का बड़ा एनकाउंटर नहीं हो पाता। इसलिए हमने इंतज़ार किया।
हिडमा के मारे जाने के महज़ दो घंटे के अंदर ड्रोन सर्विलांस की मदद से इन सभी को पकड़ लिया गया।”
गिरफ़्तार माओवादियों के पास से कुछ हथियार भी बरामद हुए हैं। पुलिस ने लाउडस्पीकर से पहले सरेंडर करने की चेतावनी दी थी, लेकिन किसी ने गोली नहीं चलाई।
माओवादी फिर से संगठित होने की फिराक़ में थे
ख़ुफ़िया जानकारी के मुताबिक़, बचे हुए माओवादी आंध्र प्रदेश-ओडिशा बॉर्डर (AOB) की तरफ़ बढ़कर फिर से संगठित होने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने अभी उनकी पहचान की जा रही है, इनमें कुछ वरिष्ठ एरिया कमांडर भी हो सकते हैं।
आदिवासी नेताओं की सुरक्षा बढ़ाई गई
हिडमा के मारे जाने से बौखलाए माओवादियों द्वारा बदले की कार्रवाई की आशंका को देखते हुए आदिवासी इलाक़ों के विधायकों, सांसदों और अन्य नेताओं की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। डीजीपी ने इसके लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं।
पुलिस की अपील
ADGP लड्ढा ने एक बार फिर माओवादियों से शांतिपूर्ण सरेंडर करने की अपील की। उन्होंने कहा,
“सरेंडर करने में डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। जिनके सिर पर भी इनाम है, उन्हें वह इनाम भी दिया जाएगा और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए हर संभव मदद दी जाएगी।”
माओवादी आंदोलन को पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों ने लगातार कमज़ोर किया है। हिडमा का मारा जाना इसे अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। सुरक्षा बलों का ऑपरेशन अभी भी जारी है।

