Ghaziabad news जिले में 5656 बच्चे 4डी यानि जन्मजात शारीरिक दोष से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत कराए गए सर्वे में इन बच्चों को चिह्नित किया गया है। जिले में 1.17 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग हुई। इसके बाद 5379 बच्चों का इलाज चल रहा है। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 15 और शहरी क्षेत्र में चार डॉक्टर तैनात है। इनके साथ आशा, एएनएम और एआरओ ने 904 स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में सर्वे करके बच्चों को चिन्हित किया है। एक अप्रैल 2025 से सितंबर 2025 में 1,17,173 बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग में 4डी के तहत बच्चों में चार प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं जन्म के समय दोष (डिफेक्ट एट बर्थ), रोग (डिजीज), कमियां (डिफिशिएंसी), विकासात्मक देरी की पहचान करना और उनके लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप सुनिश्चित करना (डेवलपमेंट डिले एंड डिसेबिलिटी)।
इन समस्याओं में 5656 बच्चों को चिन्हित किया गया। सभी बच्चों को स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों से उपचार के लिए सीएचसी या फिर अस्पतालों के लिए रेफर किया गया। कुल 5379 बच्चों का इलाज शुरू कर दिया गया है। शून्य से 18 साल के बच्चों की स्क्रीनिंग आमतौर पर राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 साल के बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। आशा कार्यकर्ता शून्य से छह सप्ताह के बच्चे, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शून्य से छह वर्ष के बच्चे) और स्कूल शिक्षक छह से 18 वर्ष के बच्चों की स्वास्थ्य जांच करते हैं। बच्चों की 32 सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों की जांच की जाती है ताकि बीमारियों का शीघ्र पता लगाया जा सके। यदि किसी बच्चे में कोई समस्या पाई जाती है, तो उसे आगे की जांच और उपचार के लिए डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जाता है।
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ब्लॉक स्क्रीनिंग चिन्हित बच्चे उपचारित
लोनी 21855, 994, 958
मुरादनगर 16418, 959, 920
रजापुर 22561, 1070, 1017
भोजपुर 21550, 998, 972
मोहननगर 11819, 479, 433
विजयनगर 11424, 581, 532
कविनगर 11546, 595, 547
कुल योग 117173, 5656, 5379
क्या कहते हैं राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के नोडल अधिकारी
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि जन्म के समय पाई जाने वाली जन्मजात शारीरिक विकृतियां जैसे पैर टेढ़े होना, घुटने अंदर और बाहर की तरफ झुकना। डिजीज-बच्चों में होने वाली सामान्य बीमारियां। डिफिशिएंसी- पोषण या अन्य कमियों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं। डेवलपमेंट डिले एंड डिसेबिलिटी- बच्चों के विकास में देरी, जिसमें विकलांगता भी शामिल है। बच्चों की स्क्रीनिंग के दौरान जिले में कुल 62 बच्चे जन्मजात दोष के रूप में चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 53 बच्चों का उपचार कराया गया है। बाकी आठ बच्चों का इलाज अभी चल रहा है।
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