संभल हिंसा और हरिहर मंदिर को लेकर विवाद, जनसांख्यिकीय परिवर्तन और ऐतिहासिक दावों पर बहस हुई तेज

Sambhal violence and Harihar temple dispute news: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा ने एक बार फिर धार्मिक और जनसांख्यिकीय मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाल ही में दिल्ली में एक बयान जारी कर संभल की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि संभल में ऐतिहासिक रूप से हरिहर मंदिर मौजूद था, जिसे मुगल शासक बाबर ने 1529 में बर्बरतापूर्वक ध्वस्त कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की। इसके साथ ही, जैन ने संभल में हिंदू समुदाय की दयनीय स्थिति और जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर भी चिंता जताई।

हिंसा की पृष्ठभूमि
संभल में हिंसा तब भड़की जब 19 नवंबर 2024 को स्थानीय सिविल कोर्ट में दायर एक याचिका के आधार पर शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण शुरू हुआ। याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण हरिहर मंदिर के खंडहरों पर किया गया था। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन सहित अन्य हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दायर किया था। कोर्ट ने सर्वेक्षण का आदेश दिया, जिसके तहत 19 और 24 नवंबर को सर्वे किए गए।
24 नवंबर को दूसरे सर्वे के दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मस्जिद के पास भीड़ जमा हुई और पुलिस पर पथराव शुरू हो गया, जिसके जवाब में पुलिस की गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें सभी मुस्लिम समुदाय के थे। इस हिंसा में 29 पुलिसकर्मी और एक प्रशासनिक अधिकारी भी घायल हुए थे।

विष्णु शंकर जैन का बयान
विष्णु शंकर जैन ने एक त्रिस्तरीय न्यायिक आयोग के समक्ष अपने बयान में कहा, “संभल का सच सामने न आए, इसके लिए सुनियोजित साजिश के तहत सर्वे को विफल करने की कोशिश की गई। मस्जिद में सर्वे को प्रभावित करने के लिए आगजनी और फायरिंग की गई।” उन्होंने यह भी दावा किया कि संभल में हिंदू आबादी 1947 में 45% थी, जो अब घटकर 15-20% रह गई है। जैन ने इसे बार-बार दंगों और तुष्टिकरण की राजनीति का परिणाम बताया।
जैन ने हरिहर मंदिर के अस्तित्व का हवाला देते हुए कहा कि बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी जैसे ऐतिहासिक दस्तावेजों में मंदिर का उल्लेख है। उनके अनुसार, “संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा।”

न्यायिक आयोग की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने 273 दिनों की जांच के बाद 450 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी। इस रिपोर्ट में न केवल 24 नवंबर 2024 की हिंसा का विवरण है, बल्कि संभल में 1947 से अब तक हुए 15 दंगों का भी जिक्र है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि मस्जिद परिसर में हरिहर मंदिर के साक्ष्य मिले हैं और संभल में हिंदू आबादी में 30% की कमी आई है। इसके अलावा, हिंसा में विदेशी हथियारों के उपयोग और आतंकवादी संगठनों के प्रभाव की बात भी सामने आई है।

नेताओं और अन्य पक्षों की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी (सपा): सपा प्रवक्ता अमीक जामेई ने हिंसा के लिए भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “भाजपा ने कुंदरकी में मुस्लिम वोटों के दावे के बाद संभल में अशांति भड़काने की कोशिश की। यह घटना पूजा स्थल अधिनियम 1991 को कमजोर करने का प्रयास है।”
कांग्रेस: कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज आलम ने हिंसा के लिए प्रदेश सरकार और न्यायपालिका के “संविधान विरोधी रवैये” को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह घटना धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद पैदा करने की साजिश का हिस्सा है।

आम आदमी पार्टी (आप): आप सांसद संजय सिंह ने भी उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस की निंदा करते हुए हिंसा को नियोजित बताया।
मस्जिद कमेटी: मस्जिद कमेटी के सदस्यों ने दावा किया कि सर्वे के दौरान कोई हिंदू प्रतीक या मंदिर के साक्ष्य नहीं मिले। मौलाना मोईद, जिन्होंने ‘तारीख़-ए-संभल’ किताब लिखी है, ने कहा, “बाबर ने मस्जिद का निर्माण नहीं करवाया, बल्कि उसकी मरम्मत करवाई थी।”

विवाद और कानूनी स्थिति
यह विवाद पूजा स्थल अधिनियम 1991 के उल्लंघन पर सवाल भी उठा रहा है, जो धार्मिक स्थलों की स्थिति को 1947 के समय जैसा बनाए रखने की बात कहता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के बिना कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को होनी है।

धमकियों का साया
विष्णु शंकर जैन को इस मामले में सोशल मीडिया पर धमकियां भी मिली हैं। एक पोस्ट में उन्हें “संभल दंगे का मास्टरमाइंड” बताते हुए धमकी दी गई, जिसके बाद संभल पुलिस ने साइबर थाने में एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने हिंसा में शामिल एक व्यक्ति गुलाम को गिरफ्तार किया, जिसके तार कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर सारिक साठा से जुड़े हैं।

निष्कर्ष
संभल का यह विवाद धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों का जटिल मिश्रण बन गया है। जहां एक ओर हिंदू पक्ष मंदिर के साक्ष्य और जनसांख्यिकीय परिवर्तन के दावे उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर मस्जिद कमेटी और विपक्षी दल इसे धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश बता रहे हैं। न्यायिक आयोग की रिपोर्ट और कोर्ट की अगली सुनवाई इस मामले में निर्णायक साबित हो सकती हैं।

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