RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, पड़ोसी देशों से रिश्ते बनाए रखना जरूरी, अधिकांश कभी भारत का हिस्सा थे

RSS/New Delhi News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते जोड़ने की दिशा में काम करना चाहिए, क्योंकि इनमें से अधिकांश देश कभी भारत का हिस्सा थे। यह बयान उन्होंने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित RSS के शताब्दी समारोह के एक कार्यक्रम में दिया।

मोहन भागवत ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि पड़ोसी देशों के लोग भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़े हैं और इनके साथ संबंध सुधारने से न केवल क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा, “पड़ोसी देश अधिकांश भारत देश के ही थे। लोग वही हैं, जो विरासत मिली है, इसमें सबका विकास हो।” भागवत ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा अपने नुकसान की अनदेखी करते हुए दूसरों की मदद की है, जिसके कारण विश्व में भारत की साख बढ़ी है।

उन्होंने समाज में व्याप्त विवादों को खत्म करने की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि पंथ और संप्रदाय भले ही अलग हों, लेकिन समाज को एकजुट करना जरूरी है। भागवत ने भारत की उदार और समावेशी प्रकृति का जिक्र करते हुए कहा कि विदेशी विचारधाराओं को भी भारत ने स्वीकार किया, लेकिन अब इनके बीच की दूरी को पाटने के लिए दोनों पक्षों से सकारात्मक प्रयासों की जरूरत है।

इसके साथ ही, भागवत ने भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में जितना बुरा दिखता है, उससे 40 गुना ज्यादा अच्छा मौजूद है, और यह समाज की ताकत है। उन्होंने RSS के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि संगठन का लक्ष्य चरित्र निर्माण और देशभक्ति को बढ़ावा देना है, ताकि समाज संगठित और मजबूत हो सके।

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच कई मुद्दों पर तनाव की स्थिति देखी जाती है। भागवत का यह बयान क्षेत्रीय सहयोग और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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