शांति या उदासीनता?
रोजा गोलचक्कर के आसपास रहने वाले निवासियों का कहना है कि यह इलाका अपेक्षाकृत शांत है। दुकानदार रमेश कुमार (बदला हुआ नाम) बताते हैं, “यहां चोरी, लूट या हिंसा की घटनाएं बहुत कम सुनने को मिलती हैं। पुलिस की गश्त भी शायद इसलिए कम होती है क्योंकि जरूरत ही नहीं पड़ती।” हालांकि, कुछ लोग इसे पुलिस की लापरवाही मानते हैं। एक अन्य निवासी, शालिनी वर्मा (बदला हुआ नाम), कहती हैं, “शांत इलाका होने का मतलब यह नहीं कि पुलिस की मौजूदगी न हो। अगर कोई आपात स्थिति हो तो पीसीआर वैन को बुलाने में समय लग सकता है, जो चिंता का विषय है।”
पुलिस की मौजूदगी
हमारी पड़ताल में सामने आया कि रोजा गोलचक्कर और इसके आसपास के क्षेत्र में पुलिस गश्त की आवृत्ति अन्य व्यस्त या अपराध-प्रवण क्षेत्रों की तुलना में कम है। स्थानीय पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी, जो नाम न बताने की शर्त पर बात किए, ने बताया, “हमारे पास संसाधन सीमित हैं। जिन क्षेत्रों में अपराध की दर अधिक है, वहां पीसीआर वैन और गश्त पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। रोजा गोलचक्कर में पिछले कुछ वर्षों में गंभीर अपराध की कोई बड़ी घटना दर्ज नहीं हुई, इसलिए इसे कम प्राथमिकता मिलती है।”
हालांकि, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कम अपराध दर वाले क्षेत्रों में भी नियमित गश्त और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती जरूरी होती है ताकि अपराध को रोकने के लिए निवारक उपाय (crime prevention) सुनिश्चित किए जा सकें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शांत दिखने वाले क्षेत्रों में पुलिस की अनुपस्थिति भविष्य में जोखिम पैदा कर सकती है। क्राइम एनालिस्ट प्रोफेसर अजय शर्मा (बदला हुआ नाम) बताते हैं, “अपराधी अक्सर उन क्षेत्रों को निशाना बनाते हैं जहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होती है। रोजा गोलचक्कर जैसे इलाकों में अगर पुलिस की गश्त बढ़ाई जाए, तो यह न केवल अपराध को रोकेगा बल्कि लोगों में सुरक्षा का विश्वास भी बढ़ाएगा।”
साइबर अपराध एक नया खतरा
हालांकि रोजा गोलचक्कर में पारंपरिक अपराध जैसे चोरी, डकैती या हिंसा की घटनाएं कम हैं, लेकिन साइबर अपराध का खतरा हर जगह मौजूद है। इंदौर पुलिस के एक हालिया जागरूकता अभियान के अनुसार, साइबर अपराधी उन क्षेत्रों को भी निशाना बनाते हैं जहां लोग कम सतर्क रहते हैं। रोजा गोलचक्कर जैसे शांत क्षेत्रों में निवासियों को साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन स्टॉकिंग और डेटा चोरी जैसे खतरों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।
प्रशासन से अपेक्षाएं
स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि रोजा गोलचक्कर जैसे क्षेत्रों में कम से कम नियमित पुलिस गश्त और पीसीआर वैन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, सामुदायिक पुलिसिंग (community policing) जैसे उपायों को बढ़ावा देने से भी स्थिति में सुधार हो सकता है। निवासी राकेश मेहता (बदला हुआ नाम) कहते हैं, “हमें नहीं पता कि कब कोई आपात स्थिति आ जाए। अगर पुलिस की मौजूदगी बढ़ेगी, तो हम ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे।”
निष्कर्ष
रोजा गोलचक्कर की शांत छवि निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, लेकिन यह शांति पुलिस की अनदेखी का परिणाम भी हो सकती है। कम अपराध दर का मतलब यह नहीं कि सुरक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज किया जाए। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करे और ऐसे क्षेत्रों में भी नियमित गश्त सुनिश्चित करे। साथ ही, निवासियों को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करने के लिए स्थानीय स्तर पर अभियान चलाए जाएं। रोजा गोलचक्कर जैसे क्षेत्रों को न केवल अपराध-मुक्त रखने की जरूरत है, बल्कि इसे एक सुरक्षित और जागरूक समुदाय के रूप में भी विकसित करना होगा।
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