ऋषिकेश: हिंदू संगठन के विरोध के बीच मिस ऋषिकेश प्रतियोगिता, प्रतिभागियों ने कहा- ‘लड़कियां बचपन से ऐसी लड़ाइयां लड़ रही हैं’

Miss Rishikesh Pageant News: उत्तराखंड के पवित्र नगरी ऋषिकेश में मिस ऋषिकेश सौंदर्य प्रतियोगिता के आयोजन ने सांस्कृतिक बहस को जन्म दे दिया है। एक तरफ हिंदू संगठन इसे ‘उत्तराखंड की संस्कृति के खिलाफ’ बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रतिभागी लड़कियां इसे अपनी आजादी और सपनों की लड़ाई करार दे रही हैं। विजेता मुस्कान शर्मा ने कहा, “लड़कियां बचपन से ही ऐसी लड़ाइयां लड़ रही हैं; हमें कुछ आसानी से नहीं मिलता। हम लड़कर हासिल करते हैं।” यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जोरदार बहस का विषय बनी हुई है।

घटना का विवरण: ऑडिशन में घुसा हिंदू संगठन
4 अक्टूबर को लायंस क्लब रॉयल द्वारा आयोजित दीवाली मेला के तहत मिस ऋषिकेश के फाइनल रिहर्सल के दौरान हंगामा मच गया। होटल में रैंप वॉक का अभ्यास कर रही युवतियों के कपड़ों पर राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन (आरएचएसएस) के सदस्यों ने आपत्ति जताई। संगठन के राज्य अध्यक्ष राघवेंद्र भटनागर ने प्रतिभागियों को ‘पश्चिमी संस्कृति का प्रदूषण’ फैलाने का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम रोकने की मांग की।
वीडियो फुटेज में भटनागर को कहते सुना जा सकता है, “यह हमारी संस्कृति नहीं है। ऋषिकेश तीर्थ नगरी है, यहां सनातन धर्म महिलाओं को संयमित वेशभूषा सिखाता है। घर जाकर ऐसा करें।” उन्होंने दावा किया कि पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं और स्थानीय धार्मिक भावनाओं का अपमान हो रहा है। संगठन के सदस्यों ने प्रतिभागियों को फिल्माना भी शुरू कर दिया, जिस पर आयोजकों और लड़कियों ने कड़ा विरोध जताया।

आयोजक धीरज मखिजा ने स्पष्ट किया कि प्रतियोगिता हमेशा से भारतीय परिधानों में आयोजित की जाती है और माता-पिता की सहमति से हो रही है। उन्होंने कहा, “यह स्थानीय महिलाओं को मिस उत्तराखंड जैसे बड़े मंच तक पहुंचाने का प्लेटफॉर्म है। हमने कभी ऐसी आपत्ति का सामना नहीं किया।” पुलिस ने बताया कि कोई औपचारिक शिकायत नहीं दर्ज हुई और विवाद आपसी सहमति से सुलझ गया।

प्रतिभागियों का साहस: ‘तुम कौन हो, जो हमारा फैसला करेंगे?’
विवाद के दौरान 23 वर्षीय मुस्कान शर्मा, जो बाद में प्रतियोगिता की विजेता बनीं, सबसे आगे खड़ी रहीं। उन्होंने संगठन के सदस्य से कहा, “तुम कौन हो, जो हमें रोक सकोगे? संस्कृति कपड़ों से नहीं परिभाषित होती। पहले सिगरेट-शराब की दुकानों को बंद करो, जो समाज को नुकसान पहुंचा रही हैं।” एक अन्य प्रतिभागी ने चैलेंज किया, “हम वयस्क हैं, अपना पहनावा खुद चुनेंगी। विदेशी पर्यटक यहां आते हैं, उनके कपड़ों पर सवाल क्यों नहीं?”

मुस्कान ने बाद में मीडिया से बातचीत में भावुक होकर कहा, “मैंने सालों का इंतजार किया था रैंप पर चलने का। यह सिर्फ मेरा सपना नहीं, हर लड़की का संघर्ष है। बचपन से हम परिवार, समाज की बंदिशों से लड़ती आई हैं। विदेशी पर्यटकों के कपड़ों पर चुप्पी क्यों? हम भी अपना करियर बनाना चाहती हैं।” प्रतियोगिता 5 अक्टूबर को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न हुई, जिसमें टॉप-5 प्रतिभागी मिस उत्तराखंड के लिए चुनी गईं।

सोशल मीडिया पर बंटी राय: समर्थन और आलोचना
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर हजारों यूजर्स ने लड़कियों की हिम्मत की तारीफ की। एक यूजर ने लिखा, “ब्रेव गर्ल्स! हमें ऐसे युवाओं की जरूरत है जो इन ठेकेदारों को सबक सिखाएं।” वहीं कुछ ने संगठन का समर्थन करते हुए कहा, “ऋषिकेश की पवित्रता बचानी जरूरी है।” कांग्रेस नेता विजय सिंह ने इसे ‘संघी दादागिरी’ बताया, जबकि अन्य ने इसे ‘मॉरल पुलिसिंग का नया रूप’ करार दिया।

राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन, जो 2017 में पंजीकृत हुआ, धार्मिक रूपांतरण और ‘लव जिहाद’ विरोधी अभियानों के लिए जाना जाता है। इस घटना ने महिलाओं की स्वतंत्रता बनाम सांस्कृतिक संरक्षण की बहस को तेज कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे विवाद ग्रामीण और शहरी भारत के बीच बदलते मूल्यों को एक बार फिर से उजागर किया हैं।

मुस्कान शर्मा की यह जीत न केवल ताज की है, बल्कि एक संदेश भी- लड़कियां अब चुप नहीं रहेंगी। क्या यह घटना उत्तराखंड में महिलाओं के सशक्तिकरण की नई दिशा बनेगी? समय ही बताएगा।

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