खुलासाः वन संरक्षण की बजाया खरीदे गए आईफोन और ये सामान

उत्तराखंड बजट सत्र 2025 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई। केंद्रीय ऑडिट में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं। चैंकाने वाले तथ्य सामने आए। वन संरक्षण के लिए निर्धारित धन का इस्तेमाल आईफोन और ऑफिस सजावट के सामान खरीदने के अलावा अन्य नियमों का उल्लंघन भी शामिल है।

2022 के रिकॉर्ड की जांच करने वाली इस रिपोर्ट में कई सारे उदाहरण सामने आए हैं। इसमें कैम्पा के फंड को वनीकरण से संबंधित कामों पर खर्च की बाजय अन्य मदों पर खर्च किया गया। टैक्स पेमेंट के लिए जीका प्रोजेक्ट को 56.97 लाख रुपये रिडायरेक्ट किए गए। यह पैसा इसके लिए नहीं था। डीएफओ अल्मोड़ा ऑफिस में बिना किसी मंजूरी के सोलर फेंसिंग पर 13.51 लाख खर्च किए गए।
कैम्पा को फंड मिलने के बाद उसका उपयोग एक साल के अंदर करना होता है, लेकिन 37 मामलों में इस फंड का इस्तेमाल करने में 8 साल लगा दिए गए। केंद्र ने सड़क, पावर लाइन, वाटर सप्लाई लाइन, रेलवे और ऑफ रोड लाइन के लिए औपचारिक सहमति दी थी, लेकिन इसके बावजूद डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर मंजूरी जरूरी होती है। 2017 से 2022 के बीच 52 मामलों में क्थ्व् की मंजूरी नहीं ली गई थी।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 से 2022 तक जो वृक्षारोपण किया गया, उसमें से सिर्फ 33 पर्सेंट वृक्ष ही जिंदा रह पाए। यह वन अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्धारित 60-65 प्रतिशत से कम है। इस रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर हो चुकी दवाओं के वितरण पर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में पाया गया कि कम से कम तीन सरकारी अस्पतालों में 34 एक्सपायर हो चुकी दवाओं का स्टॉक था और उनमें से कुछ की एक्सपायरी डेट दो साल से भी पहले हो चुकी थी।

 

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