Kolkata/West Bengal News: नखोदा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद शफीक कासमी के हालिया बयान ने धार्मिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। मौलाना शफीक ने कहा कि “‘हिंदू’ शब्द तो है, लेकिन हकीकत में ‘हिंदू धर्म’ कोई अलग धर्म नहीं है। असल में यह ‘सनातन धर्म’ है। जो लोग सनातन धर्म को मानते हैं, उन्हें ‘सनातनी’ कहा जाता है। इसकी धार्मिक किताबें—जैसे भागवत गीता, पुराण और वेद—इनमें जो शिक्षाएं दी गई हैं, वे इंसानों के लिए बहुत उत्तम मार्गदर्शन हैं।शफीक के इस बयान ने जहां एक ओर सनातन धर्म की शिक्षाओं की प्रशंसा की, वहीं उनके ‘हिंदू धर्म’ को ‘सनातन धर्म’ कहने और इसे अलग धर्म न मानने वाले कथन ने विवाद को जन्म दिया।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रियाएं
मौलाना शफीक के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने उनके बयान की सराहना की, इसे हिंदू-मुस्लिम एकता और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। एक यूजर ने एक्स पर लिखा, “मौलाना शफीक का बयान स्वागत योग्य है। यह दिखाता है कि धर्म की गहरी समझ से एकता का संदेश दिया जा सकता है। गीता और वेदों की तारीफ करना सकारात्मक कदम है।” वहीं, कुछ अन्य यूजर्स ने इस बयान को सनातन धर्म की पहचान को कमजोर करने की कोशिश करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “हिंदू धर्म को सनातन धर्म कहना और इसे अलग धर्म न मानना गलत है। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान पर सवाल उठा रहा है।”
भाजपा के कुछ नेताओं और हिंदू संगठनों ने इस बयान की आलोचना की। एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा, “यह बयान हिंदू धर्म की मौलिकता को नकारता है। सनातन धर्म ही हिंदू धर्म है, लेकिन इसे अलग धर्म न कहना ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ है।” दूसरी ओर, कुछ बुद्धिजीवियों ने इसे एक समावेशी दृष्टिकोण बताया, जो धार्मिक एकता को बढ़ावा देता है।
विवाद और संदर्भ
यह पहली बार नहीं है जब पश्चिम बंगाल में धार्मिक पहचान को लेकर बहस छिड़ी हो। पहले भी ममता बनर्जी और अन्य नेताओं के बयानों ने इसी तरह के विवादों को जन्म दिया था। उदाहरण के लिए, ममता बनर्जी के 2023 में काजी नजरुल इस्लाम को महाभारत का रचयिता बताने वाले बयान पर भी भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था।
मौलाना शफीक ने अपने बयान में यह भी कहा कि सनातन धर्म की शिक्षाएं सभी के लिए प्रेरणादायक हैं और इन्हें पढ़ने की सलाह दी। उनके इस बयान को कुछ लोगों ने धार्मिक सौहार्द की दिशा में सकारात्मक कदम माना, जबकि अन्य ने इसे सनातन धर्म की स्वतंत्र पहचान को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा।
आगे की चर्चा
इस बयान ने कोलकाता और पश्चिम बंगाल में धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर एक नई बहस शुरू कर दी है। कुछ संगठनों ने मांग की है कि मौलाना शफीक इस बयान पर स्पष्टीकरण दें, जबकि कुछ ने इसे एक सकारात्मक संदेश के रूप में प्रचारित करने की बात कही। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में और चर्चा होने की संभावना है, क्योंकि यह धार्मिक संवेदनशीलता और एकता के बीच जटिल संतुलन को दिखा रहा है।
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