जस्टिस सचिन दत्ता की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि मामला गंभीर है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अदालत ने सीबीएफसी को निर्देश दिया कि वह मेजर शर्मा के माता-पिता सुशीला शर्मा और राजेंद्र प्रसाद शर्मा की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए फिल्म के प्रमाणन पर पुनर्विचार करे। याचिका में दावा किया गया है कि फिल्म उनके शहीद पुत्र के जीवन, खुफिया अभियानों और बलिदान पर आधारित है, लेकिन इसके लिए परिवार से कोई अनुमति या सहमति नहीं ली गई। फिल्म के निर्माताओं ने हालांकि इन आरोपों का खंडन किया है।
याचिका दायर करने वाले वकील रूपींशु प्रताप ने पुष्टि की कि माता-पिता का उद्देश्य केवल स्पष्टता है, न कि किसी आर्थिक लाभ की मांग। मेजर शर्मा के भाई ने भी सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि परिवार फिल्म से कोई फायदा नहीं चाहता, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उनके बेटे की स्मृति का सम्मानजनक चित्रण हो।
फिल्म ‘धुरंधर’, जो आदित्य धर द्वारा निर्देशित है, 5 दिसंबर 2025 को रिलीज होने वाली है। यह एक एक्शन थ्रिलर है, जिसमें रणवीर सिंह मुख्य भूमिका में हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिल्म का कथानक मेजर शर्मा के वास्तविक जीवन से मिलता-जुलता है, जिसमें उनके गुप्त मिशनों और 2009 में हुए बलिदान का वर्णन है। मेजर शर्मा को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी भरे अभियान के लिए अशोक चक्र से नवाजा गया था।
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है। कई यूजर्स ने परिवार के दर्द को समझते हुए फिल्म निर्माताओं से संवेदनशीलता बरतने की अपील की है, जबकि कुछ ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। लाइव लॉ और बार एंड बेंच जैसे कानूनी पोर्टलों ने भी अदालत के इस निर्देश को महत्वपूर्ण बताया है।
यह मामला बॉलीवुड में सैनिकों की जिंदगी पर आधारित फिल्मों को लेकर उठने वाली नैतिक बहस को नई दिशा दे सकता है। परिवार की ओर से अगली सुनवाई में सीबीएफसी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।

