मध्यप्रदेश के ललित पाटीदार ने बनाया अनोखा विश्व रिकॉर्ड, वेयरवोल्फ सिंड्रोम के साथ जी रहे हैं प्रेरणादायक जीवन

Ratlam/Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के छोटे से गांव नांदलेटा के 19 वर्षीय ललित पाटीदार ने अपनी अनोखी स्थिति और साहस के दम पर पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी हैं। ललित “हाइपरट्रिचोसिस” या “वेयरवोल्फ सिंड्रोम” नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके कारण उनके चेहरे और शरीर पर असामान्य रूप से घने और लंबे बाल उगते हैं। इस स्थिति के बावजूद, ललित ने न केवल अपने जीवन को सकारात्मक रूप से जिया, बल्कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज करवाया है। उन्हें “चेहरे पर सबसे ज्यादा बाल वाला व्यक्ति” का खिताब मिला है, जिसमें उनके चेहरे पर प्रति वर्ग सेंटीमीटर 201.72 बाल दर्ज किए गए। यह रिकॉर्ड 13 फरवरी 2025 को इटली के मिलान में “लो शो देई रिकॉर्ड” के सेट पर सत्यापित किया गया।

क्या है वेयरवोल्फ सिंड्रोम?
हाइपरट्रिचोसिस, जिसे आमतौर पर वेयरवोल्फ सिंड्रोम कहा जाता है, एक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात स्थिति है, जिसमें शरीर और चेहरे पर 5 से 6 सेंटीमीटर तक लंबे बाल उगते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह स्थिति दुनिया भर में केवल 50 लोगों में पाई जाती है। ललित के चेहरे का 95% हिस्सा इन घने बालों से ढका रहता है, जिसके कारण उनके चेहरे की विशेषताएं स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देतीं।

बचपन में सहनी पड़ी थीं कठिनाइयां
ललित का जीवन आसान नहीं रहा। बचपन में उन्हें सामाजिक तिरस्कार और उपहास का सामना करना पड़ा। लोग उन्हें “बंदर” या “हनुमान” कहकर चिढ़ाते थे, और कुछ बच्चे उन पर पत्थर तक फेंकते थे। फिर भी, ललित ने हिम्मत नहीं हारी। वे कहते हैं, “मैंने अपने रूप को स्वीकार कर लिया है। मैं खुश हूं और अपने सपनों को पूरा करना चाहता हूं।” कुछ लोग उन्हें “बाल हनुमान” या भगवान का अवतार मानकर सम्मान भी देते हैं।

प्रेरणादायक है ललित की कहानी
ललित की कहानी न केवल उनकी हिम्मत की मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि शारीरिक भिन्नताएं किसी के सपनों को रोक नहीं सकतीं। 13 साल की उम्र में भी ललित ने पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखा था, और आज भी वे अपनी पढ़ाई और लक्ष्यों की ओर बढ़ रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव को गर्व का अनुभव कराया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम शामिल होने के बाद, ललित अब विश्व भर में प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। वे कहते हैं कि वे दुनिया की यात्रा करना चाहते हैं और विभिन्न संस्कृतियों को समझना चाहते हैं।

परिवार का रहा साथ
ललित के परिवार ने उनकी इस यात्रा में हमेशा उनका साथ दिया। शुरू में उनके माता-पिता इस स्थिति से चिंतित थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने इसे स्वीकार किया और ललित को हर कदम पर प्रोत्साहित किया।
ललित पाटीदार की यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की चुनौतियों के सामने हार मानने के बजाय, साहस और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। उनकी उपलब्धि न केवल मध्यप्रदेश के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।

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