रामपुर सदर की सीट पर भाजपा ने जीत के लिए पूरा जोर लगा दिया है। यह एक मुस्लिम-बहुल निर्वाचन क्षेत्र है। यहां लगभग 3.80 लाख मतदाताओं में से 55 फीसदी मुस्लिम समुदाय से हैं। हालांकि इन समीकरणों के बावजूद भाजपा अपनी पुरानी नीति पर ही अड़ी हुई है, जो 2014 से प्रभावी है। मुस्लिम-बहुल सीट होने के बावजूद भाजपा ने विधानसभा या लोकसभा में मुस्लिम प्रतिनिधि को नहीं उतारा है। केवल अब पंसमादा समाज के जरिये ही जीत का दम भराने में जुटी है।
भाजपा ने रामपुर सदर सीट से उपचुनाव के लिए आकाश सक्सेना को फिर से मैदान में उतारा है। आकाश इसी साल मार्च में हुए विधानसभा चुनावों में आजम खान से सीट हारे थे। वहीं सपा ने आजम खान के वफादार माने जाने वाले मोहम्मद असीम राजा को उतारा है। दोनों के बीच दोतरफा मुकाबला होगा। मोहम्मद असीम राजा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी से 42,192 से हार गए थे। कांग्रेस और बसपा फिलहाल मुकाबले से दूर है। यानी राजा का सीधा मुकाबला सक्सेना से होगा। आकाश सक्सेना आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कुछ मामलों में शिकायतकर्ता भी हैं। रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। इनमें समाजवादी पार्टी के मोहम्मद असीम राजा, भाजपा के आकाश सक्सेना (हनी) और राजेंद्र सिंह (निर्दलीय) शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि भाजपा ने अपने अभियान में कई मुस्लिम नेताओं को तैनात किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर वे राज्य में मदरसों का सर्वेक्षण करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर सवालों का सामना कर रहे हैं। भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा के एक नेता ने कहा, -सकुनवय रामपुर में मुस्लिम समुदाय वाराणसी में ज्ञानवापी विवाद या अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बारे में बात नहीं कर रहा है। लेकिन जब हम उनसे भाजपा को वोट देने के लिए कहते हैं तो वे मदरसों के सर्वे के बारे में सवाल पूछने लगते हैं। हम उन्हें यह बताने की कोशिश करते हैं कि भाजपा सरकार उनके कल्याण के लिए काम कर रही है। मदरसा सर्वेक्षण के संबंध में सरकार की मंशा के बारे में उन्हें अभी भी भ्रम है। पिछले चुनावों में भाजपा रामपुर में धार्मिक धूर्वीकरण पर निर्भर थी। लेकिन इस बार वह सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी मुस्लिम जातियों के लिए अपने पसमांदा आउटरीच कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर लाने की कोशिश कर रही है। भाजपा प्रचारक दावा कर रहे हैं कि यूपी में तीन करोड़ से अधिक पसमांदा मुसलमानों को मुफ्त राशन मिला है। 1.25 लाख से अधिक को आयुष्मान कार्ड का लाभ मिला है। 75 लाख को पीएम किसान सम्मान निधि मिली है। 40 लाख से अधिक को मुफ्त बिजली कनेक्शन मिला है और 20 लाख को मकान वगैरह मिले हैं। यहां तक कि पार्टी ने हाल ही में रामपुर में पसमांदा मुसलमानों का एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, यूपी सरकार में राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी और पार्टी के अल्पसंख्यक विंग के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने संबोधित किया। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने नकवी को रामपुर में मुस्लिम मौलवियों से संवाद करने को कहा है, जबकि अन्य नेता घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं।
इस साल की शुरुआत में हुए उपचुनावों में रामपुर और आजमगढ़ दोनों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी को उपचुनाव जीतने का भरोसा है। भाजपा नेता पसमांदा मुसलमानों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उनका कहना है कि समुदाय के बीच अब यह धारणा है कि पसमांदाओं को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भाजपा शासन में ही मिला।