देश-विदेश से पहुंचे लाखों श्रद्धालु, जय श्रीराम के नारों से गूंज उठी रामनगरी
Ram Navami: अयोध्या। रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में इतिहास रच दिया गया। भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर राममंदिर परिसर और सम्पूर्ण अयोध्या नगरी भक्ति और उल्लास में डूबी रही। लाखों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य उत्सव में भाग लिया और रामलला के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। सबसे विशेष क्षण तब आया, जब दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणों ने स्वयं रामलला के ललाट पर तिलक किया—एक ऐसा अलौकिक दृश्य, जिसका गवाह बनना हर भक्त के लिए सौभाग्य से कम नहीं था।
Ram Navami:
सूर्य तिलक का वैज्ञानिक चमत्कार
रामलला के सूर्य तिलक को सफल बनाने के लिए इसरो (ISRO) और देश के प्रतिष्ठित आईआईटी संस्थानों के वैज्ञानिकों ने महीनों तक अभ्यास और परीक्षण किए। इस तकनीकी समन्वय का अंतिम सफल ट्रायल शनिवार को हुआ और रविवार को दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणों ने मात्र चार मिनट तक भगवान के ललाट पर दिव्य तिलक किया। विज्ञान और आस्था के इस संगम ने पूरे देश को चकित कर दिया।
पूरे अयोध्या में भक्तिमय उत्सव का माहौल
रामलला के श्रृंगार से लेकर राग-भोग और आरती तक, हर आयोजन विधिपूर्वक संपन्न हुआ। मंदिर के कपाट सुबह 3:30 बजे ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। रामलला के बाल स्वरूप के दर्शन कर भक्त भावविभोर हो उठे। रामपथ पर पुष्प वर्षा और ड्रोन के माध्यम से सरयू जल का छिड़काव हुआ, जिससे वातावरण और भी पावन हो उठा। भक्तों के स्वागत के लिए जगह-जगह जलपान और शरबत के स्टॉल लगाए गए थे। स्थानीय लोगों ने भी अतिथियों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, नेपाल, श्रीलंका सहित कई देशों से भी रामभक्त अयोध्या पहुंचे। असहाय और वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। हजारों भक्तों ने सरयू स्नान कर हनुमानगढ़ी और फिर रामलला के दर्शन कर अपनी तीर्थ यात्रा पूर्ण की।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद दूसरा भव्य आयोजन
राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह दूसरा अवसर था, जब रामनवमी इतनी भव्यता और संगठित रूप में मनाई गई। उत्तर प्रदेश सरकार और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से सुरक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, ट्रैफिक और व्यवस्थाओं की चाक-चौबंद योजना पहले से ही लागू की गई थी।
अयोध्या ने रचा आस्था और विज्ञान का नया अध्याय
यह रामनवमी न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से विशेष रही, बल्कि सूर्य तिलक जैसी अनूठी वैज्ञानिक सफलता ने इसे युगों-युगों तक याद रखने योग्य बना दिया। अयोध्या ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा और संस्कृति का केंद्र है।