Rajiv Gandhi Super Specialty Hospital News: पूर्वी दिल्ली के ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, जो एक प्रमुख तृतीयक देखभाल केंद्र है, इन दिनों एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर आवारा कुत्तों का जमावड़ा मरीजों और उनके परिजनों के लिए खतरा बन गया है। यह स्थिति न केवल मरीजों की सुरक्षा को प्रभावित कर रही है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों की भी अवमानना कर रही है, जो आवारा कुत्तों के प्रबंधन और सार्वजनिक स्थानों पर उनकी मौजूदगी को नियंत्रित करने के लिए दिए गए हैं।
अस्पताल परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी
स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों के अनुसार, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में आवारा कुत्ते घूमते देखे गए हैं। ये कुत्ते न केवल मरीजों और उनके तीमारदारों को डराते हैं, बल्कि कई बार आक्रामक व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं। एक मरीज के परिजन, रमेश कुमार (बदला हुआ नाम), ने बताया, “इमरजेंसी वार्ड के बाहर रात के समय कुत्तों का झुंड डरावना हो जाता है। मेरी मां को रात में भर्ती कराने आए थे, लेकिन कुत्तों के भौंकने और पीछे दौड़ने से हम डर गए।”
अस्पताल परिसर में स्वच्छता की कमी और खाने-पीने की वस्तुओं के अवशेषों का ठीक से निपटान न होना भी इन कुत्तों को आकर्षित करने का कारण बन रहा है। मरीजों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा, जिससे स्थिति और गंभीर हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर आवारा कुत्तों के प्रबंधन और उनकी आबादी को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन और नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि सार्वजनिक स्थानों, खासकर अस्पतालों और स्कूलों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, आवारा कुत्तों की मौजूदगी से लोगों की सुरक्षा को खतरा न हो। इसके लिए पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रमों को लागू करने और कुत्तों को टीकाकरण करने के निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के मामले में ये दिशा-निर्देश पूरी तरह नजरअंदाज किए जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि न तो दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और न ही अस्पताल प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है। कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है, जिसके कारण उनकी संख्या नियंत्रित नहीं हो पा रही।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी
एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल प्रशासन को इस समस्या की जानकारी है, लेकिन स्टाफ की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण इसे प्राथमिकता नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान मरीजों के इलाज पर केंद्रित है। कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एमसीडी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।”
मरीजों और स्थानीय लोगों की मांग
मरीजों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अस्पताल प्रशासन और एमसीडी मिलकर इस समस्या का तत्काल समाधान करें। कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि अस्पताल परिसर में नियमित सफाई, कचरे का उचित निपटान और कुत्तों के लिए अलग से नियंत्रित क्षेत्र बनाया जाए। इसके अलावा, पशु कल्याण संगठनों की मदद से नसबंदी और टीकाकरण अभियान को तेज करने की मांग भी उठ रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पशु कल्याण कार्यकर्ता और दिल्ली में आवारा कुत्तों पर काम करने वाली एक गैर-सरकारी संगठन की कार्यकर्ता, शालिनी मेहरा, ने बताया, “आवारा कुत्तों की समस्या को केवल उन्हें हटाने से नहीं सुलझाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एबीसी कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। साथ ही, अस्पताल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कचरे का प्रबंधन और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।”
निष्कर्ष
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आवारा कुत्तों की समस्या न केवल मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का भी मामला है। अस्पताल प्रशासन, दिल्ली सरकार और एमसीडी को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को सुरक्षित माहौल मिल सके।
दिल्ली के नामी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आवारा कुत्तों का आतंक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की उड़ रही धज्जियां

