सीजफायर के बाद अमेरिका की भूमिका पर सवाल, क्या कश्मीर मामले में भी होगा हस्तक्षेप

Ceasefire between India and Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम, जिसकी घोषणा संयुक्त राज्य अमेरिका ने की, ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार, 10 मई, 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल‘ के माध्यम से इस समझौते की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा मध्यस्थता की गई लंबी बातचीत के बाद दोनों देश पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए हैं। इस सबके बीच सवाल खड़े होने लगे हैं कि अमेरिका ने किस तरह की भूमिका निभाई है। दूसरी ओर क्या अब अमेरिका कश्मीर मुददे में भी हस्तक्षेप करनेवाला है क्योंकि सूत्रों से खबर तो ये आ रही है कि भारत सरकार अमेरिका को कश्मीर मुददे में कोई हस्तक्षेप नहीं करने देगी लेकिन ये सूत्र कौन है। सरकार खुद सामने आकर अपना पक्ष क्यों नहीं रखती।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबिया का बयान
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस और उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व के साथ बातचीत की और सैन्य कार्रवाई रोकने के उनके फैसले की सराहना की। हालांकि, इस घोषणा के बाद कई सवाल उठे। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अमेरिका की इस मध्यस्थता में कितनी भूमिका थी। अमेरिकी अधिकारियों के बयानों से ऐसा लगता है कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच बातचीत में सक्रिय रूप से भाग लिया। विदेश मंत्री रुबियो ने यह भी कहा कि दोनों देश एक तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं। दूसरी ओर, भारत की ओर से इस युद्धविराम की आधिकारिक प्रतिक्रिया में अमेरिका की भूमिका का कोई खास उल्लेख नहीं किया गया। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने केवल यह पुष्टि की कि दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई और दोनों पक्ष शनिवार शाम 5 बजे से संघर्ष विराम पर सहमत हुए। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों डीजीएमओ 12 मई को फिर से बातचीत करेंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका श्रेय लेने की कर रहा कोशिश
इस संदर्भ में, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका इस युद्धविराम का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत अपनी द्विपक्षीय मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से हिचकिचा रहा है। यह भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति रही है कि वह पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से हल करना चाहता है। इसके अतिरिक्त, युद्धविराम की घोषणा के तुरंत बाद, दोनों पक्षों से समझौते के पूरी तरह से पालन न करने के आरोप भी सामने आए हैं। इससे इस युद्धविराम की स्थिरता और दीर्घकालिकता पर संदेह पैदा होता है। कुल मिलाकर, भारत और पाकिस्तान के बीच यह संघर्ष विराम एक स्वागत योग्य कदम है, खासकर हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए। हालांकि, अमेरिका की भूमिका और इस समझौते की स्थिरता से जुड़े सवाल अभी भी बने हुए हैं, जिनका आने वाले दिनों में स्पष्टीकरण मिलना बाकी है। दोनों देशों के बीच 12 मई को होने वाली डीजीएमओ स्तर की वार्ता इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है।

Ceasefire between India and Pakistan

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